यूपी के संतकबीरनगर के मगहर में संत कबीर दास के 620वें प्राकट्य उत्सव के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कबीर के संदेश को आत्मसात करने का संदेश दिया. साथ में वाराणसी सहित चार शहरों के कबीर स्थलों को कबीर सर्किट के रूप में विकसित करने की घोषणा भी की. लेकिन वाराणसी के कबीर मठ के महंत विवेक दास ने इस अवसर पर आमंत्रण नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर की है.
सिद्धपीठ कबीर चौरा मठ, मूलगादी के पीठाधीश्वर संत विवेक दास ने aajtak.in से बातचीत के दौरान कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संत कबीर की जयंती मनानी ही थी तो उन्हें मगहर के स्थान पर वाराणसी आना चाहिए था. क्योंकि संत कबीर का प्राकट्य स्थल काशी के लहरतारा में है.
संत विवेक दास का ये भी कहना है कि पीएम मोदी को ये भी जानना चाहिए कि संत कबीर दास ने अपने जीवन के अंतिम दिन मगहर में गुजारे थे और मोदी सरकार के कार्यकाल के भी एक वर्ष ही बचा है. इसलिए उन्हें कबीर याद आ रहे हैं, फिर भी वे पीएम के इस कदम का स्वागत करते हैं.
महंत विवेक दास बताते हैं कि वाराणसी के कबीर चौरा स्थित सिद्धपीठ कबीर चौरा मठ, मूलगादी इसलिए विशेष स्थान रखता है क्योंकि इसी पावन स्थल पर संत कबीर दास जी ने अपने जीवन के 120 वर्ष गुजारे थे. इसके अलावा वाराणसी के लहरतारा में उनका प्राकट्य स्थान भी है जो इस अवसर पर विशेष महत्व रखता है.
काशी में मरने वाला मोक्ष पाएगा, मगहर में मरने वाला नर्क जाएगा. कबीर के काल में काशी के पंडे ये भ्रम फैलाया करते थे. इसी भ्रांति को चुनौती देने के लिए कबीर अपने जीवन के अंतिम समय में मगहर चले गए. और किंवदंतियों में अभिशप्त मगहर को इस अभिशाप से मुक्त किया.