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राहुल गांधी जाएंगे कैलाश मानसरोवर, जानें- कितनी दुर्गम है यह यात्रा

कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया के सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार की जाती है. ऐसा नहीं है कि इस यात्रा के लिए जब मन हुआ तैयार हो गए और यात्रा के लिए निकल पड़े. यात्रा के लिए यात्रियों को बकायदा पहले तैयारी करनी पड़ती है और यात्रा से करीब 3-4 महीने भारतीय विदेश मंत्रालय में ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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दिल्ली में कांग्रेस की 'जन-आक्रोश रैली' में देशभर से आए कार्यकर्ताओं से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 15 दिन की छुट्टी मांगी है. पार्टी अध्यक्ष इस समय कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बिजी हैं और चुनाव बाद वह इस धार्मिक यात्रा पर जाना चाहते हैं.

कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया के सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार की जाती है. ऐसा नहीं है कि इस यात्रा के लिए जब मन हुआ तैयार हो गए और यात्रा के लिए निकल पड़े. यात्रा के लिए यात्रियों को बकायदा पहले तैयारी करनी पड़ती है और यात्रा से करीब 3-4 महीने भारतीय विदेश मंत्रालय में ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है.

आइए, जानते हैं कि 22,000 फीट ऊंचे कैलाश मानसरोवर की इस यात्रा के दौरान एक यात्री पर कितना खर्च आता है, किस रास्ते जाया जा सकता है, कितने दिन का यह सफर होता है. साथ ही अगर यात्रा के दौरान कोई आपदा हो गई तो उस स्थिति में भारत सरकार आपके साथ क्या करेगी.

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8 जून से शुरू होगी यात्रा

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2018 में दो रुटों पर 8 जून से 8 सितंबर तक जारी रहेगी और इसके लिए 20 फरवरी को आवेदन मांगे गए थे. आवेदन करने की अंतिम तारीख 23 मार्च थी. साथ ही यात्रा पर वही नागरिक जा सकते हैं जो भारतीय नागरिक हों और उनकी 18 साल से ज्यादा तथा 70 साल से अधिक न हो.

उत्तराखंड से यात्रा पर 2 लाख का खर्चा

यात्रा के लिए 2 रूट निर्धारित हैं, पहला उत्तराखंड की ओर लिपुलेख दर्रा और दूसरा सिक्किम नाथू ला दर्रा . लिपुलेख दर्रा की तरफ से जाने वाले यात्रियों को इस यात्रा के लिए करीब 1.6 लाख (प्रति व्यक्ति) रुपए खर्च करने होंगे.

इस रूट से इस बार 18 जत्था जाएगा, हर जत्थे में 60-60 श्रद्धालु शामिल रहेंगे. हर जत्थे की यात्रा पर 24 दिन लगेंगे जिसमें 3 दिन दिल्ली में यात्रा पूर्व तैयारी और चिकित्सीय जांच में लगते हैं. यात्रा के दौरान नारायण आश्रम, पाटल भुवनेश्वर जैसी खूबसूरत साइट के साथ-साथ ओम पर्वत भी दिखेगा, जहां पर प्राकृतिक रूप से पर्वत पर ओम शब्द बर्फ से लिखा हुआ है.

बुजुर्गों के लिए नाथु ला रास्ता सही

एक और रास्ता है सिक्किम से नाथू ला दर्रा. यह रास्ता बुजुर्ग लोगों के लिए काफी उपयोगी माना जाता है. गंगटोक से शुरू हुई यात्रा के दौरान कई खूबसूरत नजारे (हंगू लेक, तिब्बत प्लेट) देखने को मिलते हैं. इस तरफ से यात्रा करने पर करीब 2 लाख (प्रति व्यक्ति) का खर्चा आएगा.

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हालांकि इधर से यात्रा में कम दिन लगते हैं. कुल 21 दिन की यात्रा में 3 दिन दिल्ली में यात्रा पूर्व तैयारी और चिकित्सीय जांच में लगेंगे. नाथु ला दर्रे से 8 जत्था कैलाश मानसरोवर की यात्रा करेगा और हर जत्थे में 50 श्रद्धालु शामिल होंगे. इस साल अप्रैल में भारत और चीन सिक्किम में नाथु ला दर्रा से यात्रा फिर से शुरू करने पर राजी हो गए. डोकलाम विवाद के कारण इस मार्ग से यात्रा रोक दी गई थी.

फिट यात्री ही योग्य

यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को करीब 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है, साथ ही रात में तापमान माइनस 10 डिग्री तक गिर जाता है. ऐसे में शारीरिक रूप से सक्षम व्यक्ति ही यात्रा के लिए योग्य माने जाते हैं. शारीरिक और चिकित्सा की दृष्टि से तंदुरुस्त नहीं होने पर जान पर खतरा बन सकता है.

भारत सरकार की ओर से आयोजित इस यात्रा में शामिल आवेदकों को पहले ऑनलाइन पंजीकरण से पूर्व अपनी सेहत और तंदुरुस्ती की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए कुछ बुनियादी जांच कराना जरूरी है. यह जांच यात्रा से पहले दिल्ली में डीएचएलआई और आईटीबीपी द्वारा की जाने वाली चिकित्सा जांचों के लिए मान्य नहीं होगी.

विदेश मंत्रालय कंप्यूटरीकृत ड्रा के जरिए यात्रा में जाने वाले श्रद्धालुओं का चयन करती है. आवेदन के स्तर पर एक ही बैच में दो व्यक्तियों का दल एक साथ यात्रा करने का विकल्प दे सकता है. हर आवेदक को ऑन-लाइन ही आवेदन करना होगा.

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जरूरी दस्तावेज

चयनित यात्रियों के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज भी जमा कराने होते हैं. इसमें भारतीय पासपोर्ट, जो वर्तमान वर्ष के 1 सितंबर तक कम से कम 6 महीने के लिए वैध हों. साथ ही क्षतिपूर्ति बांड, 100 रुपए या स्थानीय स्तर पर लागू राशि के गैर-न्यायिक स्टांप पेपर पर और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट या नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित पत्र के अलावा एक शपक्ष पत्र जिसमें आपात स्थिति में हेलिकॉप्टर द्वारा निकासी की अनुमति हो.

अंतिम संस्कार के लिए करार

दूसरी ओर, भारत सरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति या किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु या उसके जख्मी होने या फिर उसकी संपत्ति के खोने या क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं होगी. तीर्थयात्री यह यात्रा पूरी तरह से अपनी इच्छा शक्ति के बल पर तथा खर्च, जोखिम और परिणामों से अवगत होकर करते हैं.

किसी तीर्थयात्री की सीमा पार मृत्यु होने की स्थिति में सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी. मृत्यु की स्थिति में चीन में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करना होता है.

इस बार यात्रा के लिए 4 हजार से ज्यादा आवेदन किए गए थे जिसमें ड्रॉ के बाद यात्रा के लिए 1,454 यात्री चुने गए.

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