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कलाम ने वैकल्पिक उर्जा की तलाश पर जोर दिया

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने शनिवार को देश में वैकल्पिक उर्जा की संभावनाओं की तलाश पर जोर देते हुये कहा कि धरती के गर्भ में जो उर्जा है उसके आगामी पचास से सौ वर्षों के बीच में समाप्त हो जाने की संभावना है.

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने शनिवार को देश में वैकल्पिक उर्जा की संभावनाओं की तलाश पर जोर देते हुये कहा कि धरती के गर्भ में जो उर्जा है उसके आगामी पचास से सौ वर्षों के बीच में समाप्त हो जाने की संभावना है. कलाम देहरादून में तेल एवं प्राकृतिक गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) की सेन्टर फार क्रियेटिव लीडरशिप एकेडमी की 25वीं स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में वैकल्पिक उर्जा के बारे में खोज होनी चाहिये. कलाम ने कहा कि भारत में तो ओएनजीसी को इस काम के लिये आगे आकर संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये ताकि वैकल्पिक उर्जा के क्षेत्र में देश एक ताकत के रूप में उभर सके. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत कृषि, स्वास्थ्य सेवा, उर्जा संसाधन, परिवहन और शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत बन सकता है. कलाम ने कहा कि उनके 'विजन 2020' की परिकल्पना तभी साकार हो सकती है जब कृषि, स्वास्थ्य, उर्जा संसाधन, सड़क परिवहन और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाय. इस परिकल्पना के तहत देश में न केवल समृद्धि होगी बल्कि भुखमरी का नामोनिशान भी नहीं होगा.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं शताब्दी 'नालेज मैनेजमेंट' की शताब्दी है और इसमें भी 'वैल्यू एडिशन' का दौर चल रहा है. उन्होंने ज्ञान को शक्ति का आधार बताते हुए कहा कि वर्तमान दौर में भारत को ज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के अन्य देशों के बीच अपनी अग्रणी भूमिका निभानी होगी. विश्व समुदाय को पर्यावरण के प्रति आगाह करते हुये उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर हर व्यक्ति को जागरूक होना होगा. कलाम ने कहा कि भारत में ऐसे 20 करोड़ युवा है जिनकी उम्र अभी 20 वर्ष से कम है. उन युवकों के पास समय का अभाव नहीं है और यदि प्रत्येक युवक कम से कम पांच वृक्ष लगाकर उसका पालन करे तो अकेले भारत में ही 100 करोड़ वृक्ष आने वाले चंद वर्षों में लग सकते हैं जिससे पर्यावरण का कायाकल्प हो सकता है. उन्होंने नैतिकता पर विशेष जोर देते हुये कहा कि देश में खासतौर पर नेतृत्व में नैतिकता का विकास होना चाहिए. किसी भी देश की समृद्धि और विकास के लिये नैतिकता का आधार निहायत ही जरूरी है.

पूर्व राष्ट्रपति ने बाद में भारतीय राष्ट्रीय सैन्य कॉलेज में आयोजित दीक्षांत समारोह में कैडेटों को सम्बोधित करते हुये कहा कि नवयुवकों को अपने अन्दर देश के विकास के लिये साहस रखना चाहिए क्योंकि यही लोग आगे चलकर सेना के वरिष्ठ अधिकारी बनेंगे और देश की रक्षा करेंगे. कलाम ने सैन्य कॉलेज में उत्तीर्ण कैडेटों को शपथ दिलाने की शैली में कहा कि आगे चलकर सबसे पहले देश की रक्षा की शपथ लें, उसके बाद देशवासियों की फिर अपनी कम्पनी की और इसके बाद अपने बटालियन की.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जवानों को हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिये तैयार रहना चाहिये. उन्होंने ज्ञान और साहस को सफलता का मंत्र बताते हुये कहा कि ज्ञान और रचनात्मकता व्यक्ति को महान बनाती है. समाज में उच्च आदर्श स्थापित करना जवानों का लक्ष्य होना चाहिये और समस्याओं से निपटने के लिये हमेशा तैयार रहना चाहिये. सैन्य कॉलेज के 165वें दीक्षांत समारोह में कलाम ने अपने संबोधन के दौरान कैडेटों को एक शिक्षक की शैली में साहस, ज्ञान, रचनात्मकता सहित कई पाठों को दोहराने के लिये भी कहा जिसे कैडेटों ने बड़ी तन्मयता से दोहराया.

ओएनजीसी के कार्यक्रम में प्रमुख पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा कि पर्यावरण असंतुलन के चलते पूरी दुनिया जल संकट की दहलीज पर खडी है. लोगों को उर्जा के वैकल्पिक श्रोत के तहत सौरउर्जा पर अधिक काम करना चाहिये क्योंकि भारत में सूरज की रोशनी की कमी नहीं है. इसी कार्यक्रम में कलाम ने ओएनजीसी द्वारा गठित लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के तहत हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एम बी लाल और ओएनजीसी के पूर्व सदस्य कार्मिक आर सी सिंह को सम्मानित किया और उन्हें प्रशस्तिपत्र भी प्रदान किया.

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