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कलमाड़ी ने शीला दीक्षित को लगाई लताड़

विवादों से घिरे राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के आयोजन समिति पर लगाये गये लांछन ‘काफी निराशाजनक और गैर जरूरी’ हैं और उन्हें अपने विभागों में मौजूद भ्रष्टाचार पर आत्ममंथन करना चाहिए.

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विवादों से घिरे राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के आयोजन समिति पर लगाये गये लांछन ‘काफी निराशाजनक और गैर जरूरी’ हैं और उन्हें अपने विभागों में मौजूद भ्रष्टाचार पर आत्ममंथन करना चाहिए.

दीक्षित ने आयोजन समिति पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे और इसके एक दिन बाद कलमाड़ी ने करारा जवाबी बयान देते हुए कहा कि चुप रहने का मतलब कमजोरी का संकेत नहीं माना जाना चाहिए और आयोजन समिति अब और ‘बलि का बकरा’ नहीं बनना चाहेगी.

कलमाड़ी ने कहा, ‘दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति पर लगाये गये भ्रष्टाचार के लांछन काफी निराशाजनक और गैर जरूरी हैं. किसी पर उंगली उठाना सही नहीं है जबकि उन्हें (दीक्षित) अपने विभागों में मौजूद भ्रष्टाचार पर आत्ममंथन करना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘उन्होंने कहा है कि आयोजन समिति का काम करने का तरीका काफी रहस्यमयी है जबकि राष्ट्रमंडल खेलों के प्रमुख माइकल फेनेल ने इन खेलों के आयोजन को असाधारण और सफल करार किया था.’

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कलमाड़ी ने कहा कि आयोजन समिति पहले ही प्रधानमंत्री के जांच पैनल गठित करने का स्वागत कर चुकी है और उन्होंने उम्मीद जतायी कि शुंगलु समिति सिर्फ आयोजन समिति द्वारा 1620 करोड़ रूपये के बजट को ही नहीं बल्कि दिल्ली सरकार द्वारा खर्च किये गये 16,000 करोड़ रूपये की भी जांच करेगी. उन्होंने कहा, ‘खेलों से पहले लगातार आरोपों के बावजूद मैं चुप था क्योंकि मैं खेलों को सफल बनाना चाहता था. चुप रहने का मतलब कमजोरी का संकेत नहीं मानना चाहिए. न ही संयम को अपराध का संकेत मानना चाहिए. खेलों को आयोजित करना सबसे महत्वपूर्ण था.’{mospagebreak}

कलमाड़ी ने कहा, ‘हमें पूरा भरोसा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा, भले ही वे किसी भी संस्था में शामिल हों.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय गौरव दांव पर था और मैं नहीं चाहता था कि इस पर कोई असर पड़े. हमारी चुनौती 4000 से ज्यादा लोगों के मनोबल को बनाये रखना थी. हम ऐसा करने में सफल रहे और खेलों का सफल आयोजन किया, लेकिन दशहरे के दिन मैं आयोजन समिति की तरफ से बोलना चाहता हूं. हम अब बलि का बकरा नहीं बनना चाहते हैं.’

कलमाड़ी ने कहा कि 2005 में खेलों की तैयारियों की सारी योजना सरकार ने बना ली थी और इसके मुताबिक खेलों के ढांचे सरकारी एजेंसियों द्वारा बनाये जाने थे जिसका फंड सीधे सरकार से आता जबकि शहर का विकास, निर्माण और सुधार का काम भारत सरकार के सहयोग से दिल्ली सरकार को करना था. उन्होंने कहा, ‘खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति की थी.’

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उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व हो रहा है कि दुनिया ने इन खेलों के आयोजन को सफल करार कर दिया. सारी प्रतिस्पर्धायों कार्यक्रम के मुताबिक हुई थी.’ कलमाड़ी ने खेल गांव समय पर तैयार करने का श्रेय लेने के लिये भी दीक्षित की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘खेल टीम इंडिया के प्रयासों से सफल हुई, जिसमें काफी संख्या में लोग और एजेंसियां शामिल थी. यह किसी एक व्यक्ति का प्रयास नहीं था. दीक्षित का खेल गांव समय पर तैयार करने का श्रेय लेने का प्रयास बिलकुल फिट नहीं बैठता क्योंकि यह टीम वर्क है. दिल्ली के उप राज्यपाल और आयोजन समिति पिछले दो साल से इस खेल गांव को तैयार कर रही थी, जिसमें कई एजेंसियों का मिला जुला काम था जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि यह एथलीटों के स्वागत के लिये पूरी तरह तैयार हो जाये.’

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