औसत साठ साल की उम्र वाली केंद्रीय कैबिनेट के गठन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका तय करने की चुनौती खड़ी हो गई है. इसके लिए पार्टी ने अपने कुछ सीनियर नेताओं को राज्यपाल पद सौंपने का मन बनाया है.
बीजेपी के सूत्रों ने आज तक से बातचीत में कहा कि लालजी टंडन, वीके मल्होत्रा, कल्याण सिंह, यशवंत सिन्हा, केसरीनाथ त्रिपाठी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कैलाश जोशी, ओपी कोहली जैसे दिग्गज नेताओं को गवर्नर की कुर्सी पर बिठाया जा सकता है. इनमें से किन्हें, किस राज्य में भेजा जाएगा, यह अभी तय नहीं है, पर कयासबाजी चल रही है.
राज्यपाल पद की रेस में आगे चले रहे नेताओं पर डालिए एक नजर...
विजय कुमार मल्होत्रा
वीके मल्होत्रा साल 2009 के दिल्ली चुनाव में बीजेपी की ओर से सीएम उम्मीदवार थे. इस चुनाव में बीजेपी सत्ता से दूर रह गई थी. मल्होत्रा को कर्नाटक में हंसराज भारद्वाज की जगह राज्यपाल बनाकर भेजा जा सकता है.
कल्याण सिंह
कल्याण सिंह बीजेपी के सीनियर लीडर हैं. पार्टी से बाहर का रुख करने के बाद हाल ही में इनकी बीजेपी में वापसी हुई है. अयोध्या में बाबरी ढांचे को ढहाए जाने के वक्त कल्याण यूपी के सीएम थे.
यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा एनडीए सरकार में वित्तमंत्री और विदेश मंत्री का पद संभाल चुके हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान हाशिए पर आए यशवंत सिन्हा इन दिनों झारखण्ड की पॉलिटिक्स में रुचि ले रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि यशवंत सिन्हा तमिलनाडु के गवर्नर बनाए जाएंगे.
डॉ. मुरली मनोहर जोशी
पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी को के. शंकरनारायणन के स्थान पर महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया जा सकता है. हालांकि इस पर मुरली मनोहर जोशी की रजामंदी मांगी जा रही है. जोशी को इस लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी सीट छोड़नी पड़ी थी.
लालजी टंडन
लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक विरासत संभालने वाले पूर्व सांसद लालजी टंडन का भी राज्यपाल बनना तय माना जा रहा है.
कैलाश जोशी
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का नाम भी इस फेहरिश्त में शामिल है. कैलाश जोशी 14वीं लोकसभा में भोपाल से सांसद थे.
इन नेताओं को उनके कद के हिसाब से राज्य भेजे जाएंगे. पहले कुछ रिटायर्ड अफसरों के भी नामों की चर्चा राज्यपाल पद के लिए थी, लेकिन नरेंद्र मोदी राज्यपाल के पद पर केवल राजनीति से जुड़ी शख्सियतों को ही भेजने के पक्षधर बताए जाते हैं.
गौरतलब है कि लगभग एक दर्जन पुराने राज्यपालों को हटाने की चर्चा पहले से चल रही थी. कई राज्यपालों ने इसकी आशंका के मद्देनजर पार्टी आलाकमान को पद छोड़ने की इच्छा पहले ही जाहिर कर दी थी. केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित, कर्नाटक के हंसराज भारद्वाज, राजस्थान की मार्गेट अल्वा इनमें शामिल थीं. लगभग आधे दर्जन राज्यों के राजभवन में तत्काल बदलाव नजर आ सकता है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनते वक्त ही नरेंद्र मोदी ने यह संकेत दे दिया था कि 'तय की गई उम्र' से ऊपर के नेताओं को कैबिनेट में जगह नहीं दी जाएगी.