केरल के सबरीमाला मंदिर में पहली बार प्रवेश पाकर इतिहास रचने वाली महिलाओं में से एक को उसके ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया है. 42 वर्षीय महिला कनक दुर्गा को उसके ससुराल पक्ष ने घर निकाला देकर मलप्पुरम स्थित पति के घर वापस नहीं लौटने के लिए कहा है. कनक ने इस मुद्दे को लेकर जिले के हिंसा संरक्षण अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत दर्ज कराने के बाद उसे अब पुलिस सुरक्षा के साथ एक सरकारी आश्रय गृह में स्थानांतरित कर दिया गया है.
इससे पहले इन दोनों महिलाओं को कट्टरपंथी हिंदू संगठनों की धमकी दी जा रही थी, जिसकी वजह से वह अपने घर नहीं लौट पा रही थीं. हालांकि, पुलिस सुरक्षा मिलने के बाद वो घर लौटी थीं. सबरीमाला मंदिर में रजस्वला उम्र यानी 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. हालांकि, इस परंपरागत रोक को सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है. लेकिन मंदिर में अब भी इन महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. तमाम विरोध के बीच 42 साल की कनक दुर्गा और 44 साल की बिंदू अम्मिनी ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया और ऐसा करने वाली पहली महिलाएं बनीं.
इन दोनों महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के बाद से ही राज्य के कई हिंदू संगठन और राजनीतिक दल विरोध में उतर गए. पूरा केरल हिंसा की आग में जल उठा. प्रदेश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं हुई हैं. मंदिर में प्रवेश के बाद 2 जनवरी को दोनों महिलाओं ने इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए मंदिर में प्रार्थना करने के अपने अनुभव को साझा किया था. इनके प्रवेश को लेकर दोनों महिलाओं की मंशा के बारे में कई धारणाएं और आरोप लगाए गए, जिसके बाद दोनों ने स्पष्ट किया कि उनके लिए यह शुद्ध रूप से एक विश्वास और भक्ति का मामला था. उन्होंने कहा कि वे भगवान अयप्पा के वास्तविक भक्त हैं और संविधान में निहित समान अधिकारों को बरकरार रखना चाहते थे.
दोनों केरल की साधारण महिलाएं हैं, जिनके अंदर अपने अधिकारों को जीने और महसूस करने का एक असाधारण दृढ़ संकल्प था. कनक दुर्गा नागरिक आपूर्ति विभाग में एक कर्मचारी है. वह राज्य के मलप्पुरम जिले के अंगादीपुरम की रहने वाली हैं. वहीं, कोझीकोड जिले के कोइलंदी क्षेत्र से आती हैं. उन्होंने बताया कि वह पहले एक सक्रिय नक्सली थीं, लेकिन कथित तौर पर पिछले 10 वर्षों से राजनीति से दूर रहीं. वर्तमान में, वह कन्नूर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज में पढ़ाती हैं.
'शुद्धिकरण' पर भी विवाद
सबरीमाला मंदिर के संरक्षक त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) ने तंत्री कंतारारू राजीवेरू को महिलाओं के प्रवेश के बाद 'शुद्धिकरण' के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 15 दिन की और मोहलत दी है. टीडीबी ने पूछा है कि भगवान अयप्पा के मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद 'शुद्धिकरण अनुष्ठान' क्यों किया गया. टीडीबी के अध्यक्ष ए. पद्मकुमार ने कहा कि हमने तंत्री को 15 दिन का समय और दिया है.
उन्होंने कहा, 'आम तौर पर जब एक सामान्य शुद्धि अनुष्ठान किया जाता है, तो तंत्री को टीडीबी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन दो जनवरी को जो हुआ वह सामान्य बात नहीं थी. हमने उनसे (राजीवेरू) स्पष्टीकरण मांगा है कि टीडीबी की अनुमति क्यों नहीं ली गई.'
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को मंदिर के अंदर हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी. जिसके बाद मंदिर में प्रवेश पाने वाली इन दोनों महिलाओं ने कहा था कि हमने अदालत के निर्देश का पालन किया है और तंत्री की यह हरकत अदालत के फैसले का घोर उल्लंघन है.