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पुलिस के पास अगर कोई सबूत है तो कोर्ट में रखे: कन्हैया कुमार

जेएनयू में पिछले साल हुए बवाल और देश विरोधी नारे लगाने वाले मामले में कन्हैया कुमार निर्दोष साबित होते नजर आ रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली पुलिस जल्द ही चार्जशीट फाइल कर देगी.

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कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार

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जेएनयू में पिछले साल हुए बवाल और देश विरोधी नारे लगाने वाले मामले में कन्हैया कुमार निर्दोष साबित होते नजर आ रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली पुलिस जल्द ही चार्जशीट फाइल कर देगी. आजतक ने कन्हैया कुमार से बातचीत की जिसमें उन्होंने भारी आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखी.

कन्हैया कुमार ने कहा, "हम नारे लगाते हैं लेकिन देश के खिलाफ नहीं, सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ नारे लगाते हैं. हम देश की बेहतरी के लिए नारे लगाते हैं देश को कमजोर करने के लिए नहीं. नारे लगे थे वो देश विरोधी हैं या नहीं ये तय करने का अधिकार कोर्ट का है. हमने बार-बार कहा कि पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए और इस मामले में स्पीडी ट्रायल होना चाहिए और जो लोग भी शामिल हैं अगर कोर्ट उन्हें दोषी पाती है तो कोर्ट उन्हें सजा दे."

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एक्सट्रा ज्यूडिशियल ट्रायल से मैं सहमत नहीं
कन्हैया का कहना है कि कोर्ट के बाहर एक्सट्रा ज्यूडिशियल ट्रायल से मैं सहमत नहीं हूं. किसी के भी खिलाफ ये ट्रायल नहीं होना चाहिए. किसी को ये अधिकार नहीं है कि वो किसी को देशद्रोही कह दे. जेल से निकलकर मैंने कहा था सत्यमेव जयते. सच सामने आ रहा है.

कन्हैया ने की सख्त कार्रवाई की मांग
पलटवार करते हुए कन्हैया ने कहा, "अब ये सवाल बनता है कि देश के गृहमंत्री फर्जी ट्वीट के आधार पे मेरा लिंक हाफिज सईद से जोड़ रहे थे. मेरे ऊपर हमले भी किए. आज भी मुझे गालियां दी जाती हैं. जहां कहीं भी मैं प्रोग्राम करने जाता हूं मेरे ऊपर हमले होते हैं. प्रोग्राम नहीं करने दिया जाता. उन सब लोगों को इस देश से माफी मांगनी चाहिए. जिन लोगों ने मुझ पर हमला किया और रामजस में हिंसा की उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए."

पुलिस के पास सबूत तो कोर्ट में रखे
पुलिस के पास अगर कोई सबूत है तो उसे कोर्ट में रखना चाहिए. कोर्ट तय करेगा नारेबाजी सेडीशन है या नहीं. कौन सा नारा सेडीशन के तहत आएगा या नहीं ये संविधान तय करेगा.

मेरा प्रोग्राम से कोई लेना देना नहीं था
जब मैं पहुंचा था वहां कोई नारेबाजी नहीं नहीं हो रही थी. उस प्रोग्राम से मेरा कोई लेना देना नहीं था. पुलिस वहां मौजूद थी. कार्रवाई करनी चाहिए थी. ये मामला सेडिसन का तब बना जब गृहमंत्री का बयान आया. ये पूरा मामला राजनीतिक दबाव में किया गया. कानून अपना काम करे. आवाज मिलाना और देश विरोधी नारे लगाना दो बात है. कोर्ट तय करेगा कौन दोषी है.

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क्या था मामला?
जेएनयू में पिछले साल 9 फरवरी को अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की बरसी पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कार्यक्रम के दौरान देशविरोधी नारेबाजी का वीडियो मीडिया में आने के बाद देशभर में राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ गई थी. दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार के अलावा अनिर्बान और उमर खालिद पर भी देशद्रोह की धाराएं लगाई थीं. फिलहाल ये तीनों जमानत पर रिहा हैं.

हर कैंपस में जो गुंडागर्दी कर रही है वो संगठन एबीवीपी है
शाजिया इल्मी वाले मामले पर कन्हैया कुमार ने कहा, "देश में अगर कहीं किसी को बोलने से रोका जाता है तो ये गलत है क्योंकि ये हमारा फंडामेंटल अधिकार है. हम असहमत हो सकते हैं विरोध कर सकते हैं लेकिन किसी को बोलने से नहीं रोक सकते. किसी भी यूनिवर्सिटी में किसी को बोलने से रोका जाए तो ये गलत है. देश में बीजेपी की सरकार है. हर कैंपस में जो गुंडागर्दी कर रही है वो संगठन एबीवीपी है. वो लोगों को बोलने से रोक रही है सेमिनार कैंसिल कर रही है. वो अपनी हिंसा को जसेटीफाई करने के लिए खुद को राष्ट्रवादी और दूसरे को राष्ट्रदोही साबित कर रही है."

अनिल विज जैसे किसी को भी गुरमेहर कौर के अधिकार छीनने का हक नहीं
अनिल विज के कमेंट पर बात करते हुए कन्हैया ने कहा, "ये जो संघी लोग हैं इनके लिंक रहे हैं हमेशा से. पहले ये अंग्रेजों की जासूसी करते थे आजकल पाकिस्तान की जासूसी कर रहे हैं. इनके 11 लोग आईएसआई के लिए जासूसी करते पकड़े गए हैं. इसलिए बार-बार बोलते हैं कि पाकिस्तान भेज देंगे क्योंकि पाकिस्तान में इनके लिंक हैं. आप अपने ऑनलाइन मीडिया टीम में जासूस रिक्रूट कर रहे हैं. आप पाकिस्तान के लिए जासूस रिक्रूट कर रहे हैं तो आपके लिंक हैं पाकिस्तान के साथ इसलिए आप पाकिस्तान भेज सकते हैं लेकिन ये देश आपकी बपौती नहीं है. ये देश इस देश के नागरिकों का है. संविधान की पहली लाइन है हम भारत के लोग. अनिल विज जैसे किसी को भी गुरमेहर कौर के अधिकार छीनने का हक नहीं है. इस तरह की बयानबाजी शर्मनाक है, देश के लिए खतरनाक है."

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