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AAP के फैसले पर कपिल मिश्रा बोले- लीडर और डीलर में हो गया चुनाव

आम आदमी पार्टी ने सबको चौंकाते हुए राज्य सभा के लिए 2 गैर राजनीतिक लोगों को चुना है, जिस पर कभी पार्टी के खास रहे कपिल मिश्रा ने तीखा प्रहार किया है और अरविंद केजरीवाल की राह पर चलते हुए जनता से इस पर राय मांगी है.

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सुशील गुप्ता के साथ अरविंद केजरीवाल (फोटो-ट्विटर)
सुशील गुप्ता के साथ अरविंद केजरीवाल (फोटो-ट्विटर)

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राजनीति में सुचिता लाने का वादा करने वाली दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) ने संजय सिंह, एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता को राज्य सभा भेजने का ऐलान क्या किया चारों ओर से आलोचना शुरू हो गई. पार्टी के पूर्व नेता और विधायक कपिल मिश्रा ने भी तीखी टिप्पणी की.

कपिल मिश्रा ने आज तक से बात करते हुए कहा कि राज्यसभा कैसे जाते हैं दिख गया. पार्टी को लीडर और डीलर में एक चुनना था सो चुन लिया. गौरतलब है कि संजय सिंह के अलावा बाकी के दो उम्मीदवार पार्टी से जुड़े नहीं रहे हैं और अचानक उनका नाम सामने आया है.

दिल्ली की 70 विधानसभा में 66 पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है, ऐसे में उसकी ओर से दिल्ली से 3 लोगों को राज्य सभा में भेजा जाना था.

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आप पार्टी के इस अप्रत्याशित फैसले पर हर किसी का चौंकना लाजिमी था. पार्टी की आठ सदस्यीय पीएसी ने यूपी के प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह के नाम पर मुहर तो लगा दिया, लेकिन जो दो अन्य लोगों को चुना गया है, उससे पार्टी की मंशा पर सवाल उठता है.

संजय सिंह के अलावा नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता को उम्मीदवार बनाया गया है. इस फैसले के बाद आप पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने त्वरित टिप्पणी ट्विटर पर एक व्यंग्यात्मक रचना के साथ की.

आप की ओर से यह फैसला आने से पहले ही कपिल मिश्रा ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने एक कार्टून के साथ 4 लाइन की यह कविता भी पोस्ट की.

घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है,

लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है,

जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है,

समझो, उसने ही 'आंदोलन" को मारा है.

करावल नगर से विधायक कपिल ने आप के फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पुरानी राह पर चलते हुए सोशल मीडिया पर रायशुमारी का एक पोस्ट किया. उन्होंने जनता की राय लेते हुए सवाल पूछा है, "क्या आपको लगता है केजरीवाल ने राज्यसभा की सीटों को पैसे लेकर बेचा है?"

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आप की ओर से राज्य सभा में भेजे जा रहे नारायण दास गुप्ता पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं जबकि सुशील गुप्ता एक कारोबारी हैं. कहा जा रहा है कि कारोबारी सुशील का केजरीवाल से पुराना नाता है. आप पार्टी से जुड़ने से पहले सुशील कांग्रेस के साथ थे. 2015 में उन्होंने आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा. इसके अलावा सुशील गुप्ता का एक पोस्टर काफी चर्चा में आया था. इस पोस्टर में उन्होंने आम आदमी पार्टी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया था.

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