भारत के जांबाजों ने कारगिल युद्ध में साबित कर दिया कि हालात चाहे जो हो, अगर हमारी सरहदों की तरफ किसी ने आंख भी उठाई तो अंजाम बुरा होगा.
लंबे अरसे तक हुई गोलीबारी
इंडियन आर्मी और एयरफोर्स के जाबांजों ने तमाम मुश्किलों के बावजूद 17 हजार फीट ऊंचे जंग के मैदान में वो रणकौशल दिखाया कि दुनिया दंग रह गई. भारतीय सेना के 300 से भी ज्यादा तोपें दिन-रात दुश्मनों पर गरजती रहीं. बोफोर्स 155 एमएम मीडियम गनों और 105 एमएम इंडियन फिल्ड गनों ने करीब ढाई लाख गोले और रॉकेट दागे. दूसरे विश्वयुद्द के बाद दुनिया ने इतने लंबे अरसे तक इतनी जबरदस्त गोलाबारी नहीं देखी थी.
कम नहीं था खतरा
इंडियन एयरफोर्स के मिराज-2000, मिग-23 और मिग-27 लड़ाकू विमान भी आसमान से कहर बन कर दुश्मनों पर टूटते रहे. लेकिन 17 हजार फुट की ऊंचाई पर पहाड़ों में छिपे दुश्मनों पर निशाना साधना बेहद खतरनाक काम था. खासकर तब जबकि पाकिस्तानी घुसपैठिए स्टिंगर मिसाइलों से लैस होकर 17 हजार फुट की ऊंचाई पर बंकरों में बैठे थे.
जांबाजों की वीरता की मिसाल
जाहिर है कारगिल की जंग को भारतीय फौज की शानदार कामयाबी के तौर पर याद किया जाएगा, लेकिन इस जीत को हम इसलिए भी नहीं भुला सकते क्योंकि ये जीत 527 जांबाजो की शहादत और हजारों जवानों की बेमिसाल बहादुरी की निशानी है.