कर्नाटक के उडुपी में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद का रविवार को समापन हो गया. धर्म संसद के इस सत्र में मंच से राम मंदिर निर्माण और जनसंख्या संतुलन से लेकर गोरक्षा जैसे मुद्दे उठाए गए.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या में मंदिर ही बनेगा के उद्घोष के साथ जिस धर्म संसद के आयोजन की शुरुआत की थी, उसमें इस संबंध से जुड़ा कोई प्रस्ताव पास नहीं किया गया. शुक्रवार को धर्म संसद के पहले दिन जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को मंच मिला तो उन्होंने बाकी तमाम मुद्दों के साथ राम मंदिर के मसले पर भी अपना पक्ष रखा.
मोहन भागवत ने मंच से ऐलान कर दिया कि अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा. मोहन भागवत के इस बयान पर काफी विवाद भी हुआ. मुस्लिम संगठनों ने भागवत के इस बयान की आलोचना की और सुप्रीम कोर्ट को चुनौती करार दिया. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने भी साफ तौर पर कहा कि राम मंदिर केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, ऐसे में आरएसएस प्रमुख का ये बयान न्यायालय को चुनौती देने वाला है.
हालांकि, धर्म संसद के आखिरी दिन विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भी भागवत के बयान का समर्थन किया. तोगड़िया ने कहा कि विवादित स्थल पर सिर्फ मंदिर का ही निर्माण होगी, वहां मस्जिद नहीं बनेगी. उन्होंने भी कोई तारीख नहीं बताई. लेकिन कर्नाटक में वीएचपी के एक दूसरे नेता ने मंदिर निर्माण कब शुरू होगा, ये भी बता दिया.
कर्नाटक में वीएचपी के एक पदाधिकारी गोपाल ने दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अगले साल दिसंबर में शुरू हो जाएगा. इतना ही नहीं वीएचपी के ज्वाइंट जनरल सेक्रेटरी ने भी ऐसा ही दावा किया है.
धर्म संसद में शामिल होने पहुंचे वीएचपी के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि क्या हमें इस किसी प्रस्ताव की जरूरत है? जैन ने कहा कि 1528 से ये हर हिंदू का संकल्प है. जैन ने कहा कि ये प्रस्ताव नहीं एक्शन का वक्त है. उन्होंने ऐलान किया कि अक्टूबर 2018 में मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा. जैन ने ये भी कहा कि अगली धर्म संसद का आयोजन अयोध्या में होगा.
धर्म संसद में भले ही राम मंदिर को लेकर कोई प्रस्ताव न लाया गया हो, लेकिन गोरक्षा के लिए सख्त कानून की मांग का प्रस्ताव पास किया गया है. गुजरात से अखिलेश्वर दास महाराज ने धर्म संसद में गाय की सुरक्षा के लिए एक सख्त केंद्रीय कानून का प्रस्ताव रखा था, जिसे पास कर दिया गया.
बता दें कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद कई संगठनों ने विवाद को कोर्ट के बाहर निपटाने की कोशिश की है. ये प्रयास निरंतर चल रहे हैं. शिया वक्फ बोर्ड और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर भी इसकी पहल कर चुके हैं. लेकिन धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया. हालांकि, वीएचपी नेता ने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया कि अब प्रस्ताव नहीं, एक्शन का वक्त है.