कर्नाटक में जारी सियासी नाटक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसका अंत कब और कैसे होगा, इसके बारे में अंदाजा लगाना भी मुश्किल है, क्योंकि गुरुवार को कुमारस्वामी सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट क्लियर करना था, लेकिन दिनभर चले सियासी ड्रामे ने नंबर टेस्ट का मौका ही नहीं आने दिया और विधानसभा की कार्यवाही को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
बीजेपी ये सोच कर विधानसभा में बैठी थी कि आज कुमारस्वामी सरकार गिर जाएगी, क्योंकि वाकई सरकार के पास नंबर नहीं थे, लेकिन विश्वास मत पर वोटिंग तो दूर साढ़े सात घंटे तक कार्यवाही खींची गई और आखिर में वोटिंग के बजाय कार्यवाही को ही स्थगित कर दिया गया. इसके बाद तो बीजेपी विधायक विधानसभा में ही धरना देकर बैठ गए.
उनकी मांग है कि जब तक वोटिंग नहीं होगी तब तक विधानसभा से नहीं हटेंगे. बिस्तर और खाने का इंतजाम विधानसभा में ही कर लिया गया और आज की रात बीजेपी के विधायक विधानसभा में ही गुजारेंगे. बीजेपी का कहना है कि विश्वास मत तो सरकार ने पेश कर दिया, लेकिन सिर्फ 15 मिनट के लिए ही विश्वास मत पर बात हुई बाकी दिनभर की कार्यवाही का समय इधर उधर की बातों में निकाल दिया गया. ये सब इसीलिए किया गया क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस के पास विश्वास मत हासिल करने लायक विधायक नहीं हैं. वो सिर्फ विश्वास मत को लटकाना चाहते हैं. इस पर वोटिंग नहीं करवाना चाहते.
राज्यपाल के पास गई बीजेपी
बीजेपी इस मामले को लेकर राज्यपाल के पास भी गई थी. स्पीकर के पास राज्यपाल का मैसेज भी पहुंचा था कि आज कार्यवाही खत्म होने तक विश्वास मत पर फैसला किया जा सकता है, लेकिन राज्यपाल के उस संदेश को स्पीकर ने अनदेखा कर दिया और विश्वास मत पर आज ही वोटिंग करवाने के बजाय आखिर में सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
कर्नाटक विधानसभा में अभी की स्थिति को देखें तो आज विधानसभा में कुल मिलाकर 205 विधायक मौजूद थे, जिसमें बहुमत का आंकड़ा 103 बनता है. इसमें बीजेपी के पास 105 विधायक हैं, और कांग्रेस-जेडीएस अपने सभी विधायकों को मिलाकर 100 तक ही पहुंच रहे थे. आज विधानसभा की कार्यवाही से गायब रहने वाले विधायकों की संख्या 20 हो गई, जिनमें कांग्रेस के 14 विधायक, जेडीएस के 3 विधायक, बीएसपी का 1 विधायक और 2 निर्दलीय शामिल थे.
कांग्रेस और जेडीएस इस उम्मीद में थी कि इनमें से कुछ विधायक वापस लौट आएं और उनकी सरकार बच जाए, लेकिन बागी विधायक वापस लौटे नहीं. बल्कि कांग्रेस के दो और विधायक गायब हो गए. यही नंबर गेम था जिसकी वजह से आज सुबह 11 बजे से लेकर शाम साढ़े छह बजे तक यानी करीब साढ़े सात घंटे तक एक तरह से कुमारस्वामी सरकार समय काटती रही.
कुमारस्वामी ने बीजेपी पर लगाया ये आरोप
विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने भाषण देने के लिए दो-चार नहीं बल्कि 26 नाम स्पीकर को दे दिए. विश्वास मत पेश करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि विपक्ष को ऐसी भी क्या जल्दी है? आज ही चर्चा क्यों खत्म करना चाहता है? कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया का नंबर आया तो वो विधानसभा की कार्यवाही के नियम समझाने लगे. सिद्धारमैया ने व्हिप का मामला उठा लिया कि अगर विश्वास मत पर कार्यवाही आगे बढ़ेगी तो व्हिप लागू होगा और अगर व्हिप लागू होगा तो बागी विधायकों को विधानसभा में आना पड़ेगा, फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का क्या होगा?
इसी पर बीजेपी ने शोर मचाना शुरू कर दिया कि सिद्धारमैया अपनी बात को जानबूझ कर खींच रहे हैं. ये कांग्रेस और जेडीएस के नेताओं का हथकंडा है, जिससे वो विश्वास मत को लेकर देर पर देर किए जा रहे हैं. इसी ज़ुबानी लड़ाई में दोपहर डेढ़ बजे तक का समय निकल गया. इसके बाद स्पीकर ने लंच के लिए 3 बजे तक कार्यवाही स्थगित की. बीच में सिद्धारमैया का बयान आ गया कि विश्वास मत टाल दिया जाए.
बीजेपी के लिए समय काटना हुआ मुश्किल
इधर कांग्रेस और जेडीएस टाइम पास में जुटी रही तो बीजेपी के लिए टाइम काटना मुश्किल था, क्योंकि वो तो चाहते थे कि विश्वास मत पर तुरंत वोटिंग हो. चार घंटे बाद भी भाषणबाजी के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था. बीजेपी ने कह दिया कि वो राज्यपाल से मिलने जा रही है. इस बीच सदन में कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार उन कांग्रेसी विधायक श्रीकांत पाटिल की फोटो दिखाने लगे, जो कल कांग्रेस के कैंप से गायब होकर मुंबई के अस्पताल में आज सुबह पाए गए.
कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो उनके विधायक को उठाकर ले गई. इस पर बीजेपी का जवाब था कि सत्ता जाने के दर्द में कांग्रेस और जेडीएस के नेता ऐसी बातें कर रहे हैं. दोष बीजेपी को नहीं मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को देना चाहिए जो विधायकों को बचा नहीं पा रहे.
इसी जुबानी लड़ाई के बीच लंच के बाद दोपहर 3 बजे विधानसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई जो एक घंटे के अंदर ही फिर एक बार स्थगित हो गई. इसी बीच बीजेपी के नेताओं ने राज्यपाल से शिकायत कर दी, जिसमें कहा गया कि राज्यपाल स्पीकर को बोलें कि विश्वास मत पर वो देर ना लगाएं, क्योंकि सीएम के पास बहुमत नहीं है और उन्हें आज ही विश्वास मत हासिल करना चाहिए.
विश्वास मत पर फैसला करने वाली बात पर जब राज्यपाल की चिट्ठी विधानसभा स्पीकर के पास पहुंची तो कांग्रेस ने टोक दिया कि राज्यपाल कैसे स्पीकर को निर्देश दे सकते हैं. इस पर स्पीकर ने कह दिया कि राज्यपाल ने निर्देश नहीं दिए, बल्कि इच्छा जताई है कि आज की कार्यवाही पूरी होते होते विश्वास मत पर वोटिंग की जा सकती है.