बुधवार सुबह 8 बजे से कर्नाटक में मतगणना शुरू होगी और इसके साथ ही 224 विधानसभा सीटों में से 223 सीटों के लिए खड़े कुल 2940 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला हो जाएगा. इन सीटों के लिए 5 मई को चुनाव हुआ था, जिसमें राज्य के करीब 4.35 करोड़ मतदाताओं में 70.23 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था. समूचे कर्नाटक मतगणना के लिए 36 केंद्र बनाए गए हैं.
विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे प्रमुख उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, विधानभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और जेडीएस प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एच.डी. कुमारस्वामी शामिल हैं.
राज्य में मुकाबला सत्तारूढ़ बीजेपी, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के बीच है. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की अगुवाई वाली कर्नाटक जनता पार्टी की मौजूदगी ने सभी दलों की मुश्किल बढ़ा दी हैं.
दक्षिण भारत में बीजेपी की अब तक की पहली सरकार पिछले विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में बनी थी इसीलिए यह राज्य पार्टी के लिए खास महत्व रखता है. लेकिन चुनाव अनुमानों के मुताबिक, संकट में घिरी बीजेपी की स्थिति डांवाडोल है जबकि कांग्रेस के मजबूती के साथ उभरने की संभावना है.
पिछली विधानसभा में बीजेपी के 110 विधायक थे और यह संख्या बहुमत से तीन कम थी. पार्टी पांच निर्दलीय उम्मीदवारों के बल पर राज्य में सरकार चला रही थी जिन्हें मंत्रालय में शामिल किया गया था. कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 28 सीटें थीं.
मैसूर जिले की पेरियापटना विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार की मौत के चलते मतदान की तारीख बढ़ा दी गई है. वहां 28 मई को मतदान होगा. मतदान के बाद हुए एक्जिट पोल ने जहां इस बार कांग्रेस का पलडा भारी दिखाया है वहीं पहले से ही आंतरिक खींचतान और भ्रष्टाचार के आरोपों में उलझी बीजेपी की संभावनाओं में, अपने मूल दल से अलग हुई पार्टियां- पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस येदियुरप्पा की कर्नाटक जनता पक्ष और पूर्व मंत्री बी. श्रीरामुलू द्वारा गठित बीएसआर कांग्रेस, के सेंध लगाने का अनुमान व्यक्त किया गया है.
जेडीएस को उम्मीद है कि वह अपने गढ़ पुराने मैसूर क्षेत्र से बाहर भी अपना आधार बनाएगी. येदियुरप्पा की कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) का लक्ष्य बीजेपी के इरादों पर पानी फेरना है. दोनों ही दल खंडित जनादेश मिलने की स्थिति में खुद को ‘किंग मेकर’ की भूमिका में देख रहे हैं. चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में अनुमान जताया गया है कि कांग्रेस अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है या सत्ता की दहलीज पर पहुंच सकती है.
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटों के लिए हुए मतदान में बीजेपी को 33.86 प्रतिशत मत के साथ 110 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को (34.59 प्रतिशत मत) के साथ 80 सीटें और जेडीएस को 19.13 प्रतिशत मतों के साथ 28 सीटें मिली थीं. वर्ष 2008 में कुल 64.91 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में 64.91 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन बैंगलोर में 28 निर्वाचन क्षेत्रों में महज 47.3 फीसदी मतदाताओं ने ही वोट डाला था. सर्वजननगर में तो महज 35.40 फीसदी ही वोट पड़े थे. निर्वाचन अधिकारियों के मुताबिक, इस बार राज्य में 70.23 फीसदी मतदान हुआ. बैंगलोर ग्रामीण में सबसे अधिक 77.95 फीसदी और बैंगलोर शहरी इलाके में सबसे कम 52.83 फीसदी मतदान हुआ. मतदान के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किये गए थे. करीब 52 हजार मतदान केंद्रों पर 1.35 लाख पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था जहां करीब 65 हजार इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें लगाई गई थीं. मतदान शांतिपूर्ण रहा था.
अधिक से अधिक संख्या में लोगों को मतदान करने के लिए जागरुक बनाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग और कई गैर सरकारी संगठनों ने प्रचार अभियान चलाए थे. पद यात्राएं, रैलियां, घर-घर जाकर प्रचार तो नेताओं के अभियान का हिस्सा रहे. लेकिन सोशल मीडिया के प्रभाव को देखते हुए नेताओं ने प्रचार के लिए इसका भी सहारा लिया.
नेताओं की सामाजिक कार्यों और मानवता की सेवा वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर मुख्य आकषर्ण बनीं. मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने अपनी उपलब्धियों के तौर पर सरकारी योजनाओं के बारे में बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी.