कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस)-कांग्रेस की साझा सरकार रहेगी या जाएगी, इसका फैसला आज सोमवार को होने की उम्मीद है. कर्नाटक विधानसभा में एक बार फिर कार्यवाही शुरू होगी. 13 कांग्रेस और 3 जेडीएस के विधायकों के इस्तीफे के साथ ही इस गठबंधन की सरकार पर उठे सवालों का हल विधानसभा में विश्वास मत के साथ हो सकता है. सोमवार को पड़ने वाले वोट से पहले बीजेपी प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सोमवार को कुमारस्वामी सरकार का आखरी दिन साबित होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में नंबर गेम है और वह फ्लोर टेस्ट जीतने में सफल होंगे?
बता दें कि कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले दो निर्दलीय विधायकों आर शंकर और एच नागेश ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाल कर जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है. इससे पहले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख दिनेश गुंडु राव ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. इस याचिकाओं में उन्होंने राज्यपाल पर विधानसभा की कार्रवाई में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है.
कर्नाटक विधानसभा में क्या है आंकड़ों का सियासी खेल (224)
कर्नाटक विधानसभा (कुल नंबर)
बीजेपी 105
निर्दलीय 2
कांग्रेस 78 + 1 (स्पीकर)
जेडीएस 37
बसपा 1
मनोनीत 1
अगर बागी विधायक वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं तो क्या होगी स्थिति
बीजेपी 105
निर्दलीय 2
जेडीएस 34
कांग्रेस+ स्पीकर 65
बसपा 1
मनोनीत 1
अगर मौजदा विधायकों के आंकड़ों को देखें तो विश्वास मत में कुमारस्वामी सरकार को मुंह की खानी पड़ सकती है. क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायक अपने फैसले पर कायम है. ऐसे में कांग्रेस-जेडीएस के पास बहुमत का जादुई आकड़ा साबित करना कुमारस्वामी के लिए टेढ़ी खीर है. कांग्रेस के स्पीकर सहित 65, जेडीएस के 34, बसपा के एक और एक मनोनीत मिलकर कुल 101 विधायक की संख्या हो रही है. जबकि बीजेपी के अपने दम पर 105 विधायक हैं.
हालांकि बसपा के विधायक एन महेश ने पहले कहा था कि उनके आलाकमान ने उन्हें विश्वास प्रस्ताव के दौरान न रहने के लिए कहा है. इसलिए, उन्होंने सोमवार और मंगलवार को सत्र में भाग नहीं लेने का फैसला किया है. उनके बयान के कुछ घंटे बाद, बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया और कहा कि उन्होंने विधायक को कुमारस्वामी की सरकार के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया. हालांकि इसके बाद भी बीजेपी के विधायकों की संख्या कुमारस्वामी सरकार को समर्थन करने वाले विधायकों से ज्यादा है.