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कर्नाटक विधानसभा में 'कमल' को मुरझाने की तैयारी

कर्नाटक में बीजेपी के अंदर बगावत सोमवार को एक बड़े हंगामे की शक्ल ले सकती है. सोमवार से शुरू हो रहा है राज्य विधानसभा का सत्र. बागी तो नाराज हैं ही, विपक्ष को भी अब मुद्दा मिल गया है. ऐसे में सरकार पर दबाव बनाने के लिए विधानसभा में हंगामा तो हो ही सकता है.

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कर्नाटक में बीजेपी
कर्नाटक में बीजेपी

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कर्नाटक में बीजेपी के अंदर बगावत सोमवार को एक बड़े हंगामे की शक्ल ले सकती है. सोमवार से शुरू हो रहा है राज्य विधानसभा का सत्र. बागी तो नाराज हैं ही, विपक्ष को भी अब मुद्दा मिल गया है. ऐसे में सरकार पर दबाव बनाने के लिए विधानसभा में हंगामा तो हो ही सकता है.

कर्नाटक में कमल की सत्ता की अग्निपरीक्षा का दिन आखिर आ ही गया. बीजेपी के शासन पर उनकी ही पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की वक्रदृष्टि पड़ी है. और लोकतंत्र के आंकड़ों में अब सवाल शेट्टार की सत्ता गणित पर खड़े हो गए. और इस गणित के गुणा-भाग का पूरा काम होने है विधानसभा में.

बीजेपी की अंदरूनी खींचतान में येदियुरप्पा के समर्थन वाले 14 विधायकों ने अब तक इस्तीफा दे दिया है. स्पीकर ने इनमें से 13 का इस्तीफा मंजूर कर लिया है.

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हालांकि कर्नाटक के राज्यपाल का कहना है कि उन्हें किसी भी सियासी संकट की कोई भी औपचारिक जानकारी नहीं है. आज उनके एजेंडे पर सिर्फ कर्नाटक विधानसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करना भर है.

वैसे, आंकड़ों के खेल को अगर देखें, तो बदले हालात में भी जगदीश शेट्टार की कुर्सी पर कोई बड़ा खतरा नहीं दिख रहा है.

225 सदस्यों की कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के पास पहले 119 विधायक थे. बहुमत के 113 के आंकड़े से कहीं ज्यादा. अब जब 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है तो सदन में बहुमत का आंकड़ा भी कम हो गया है. बीजेपी के पास अपने विधायकों के साथ-साथ 1 निर्दलीय का भी समर्थन है. मतलब कांटे की टक्कर में भी आंकड़ा बीजेपी सरकार के ही साथ है.

शायद आंकड़ों की इसी बढ़त की वजह से कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार बार-बार अपनी कुर्सी के सुरक्षित होने का दावा कर चुके हैं.

भले ही शेट्टार को अपनी कुर्सी सुरक्षित लगे. लेकिन कर्नाटक का सियासी नाटक थमनेवाला नहीं है. बीजेपी के बागी भी भरे बैठे हैं, विपक्ष में कांग्रेस और जेडीएस भी तैयार है. मतलब ये कि विधानसभा में हंगामे के आसार तो है ही. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी सत्ता को बचाए रखने की भी है.

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