कर्नाटक में मचे सियासी संकट और गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में विधायकों के इस्तीफे को लेकर हुई सुनवाई के बाद विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि मेरा काम किसी को बचाना नहीं है. मैं 40 साल से सार्वजनिक जीवन में हूं. मैंने इज्जत के साथ जिंदगी गुजारने की कोशिश की है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायकों ने 6 जुलाई को इस्तीफा दिया था. इस दिन मैं 12.42 तक अपने दफ्तर में था. इसके बाद मैं काम करने चला गया. विधायक 2.30 बजे आए. आने से पहले उन्होंने मुझे सूचित नहीं किया. कुछ लोग कह रहे हैं कि विधायक आ रहे थे इस वजह से मैं भाग गया.
उन्होंने आगे कहा कि रविवार को छुट्टी होती है. इस दिन मैं दफ्तर नहीं खोल सकता. सोमवार को मुझे कुछ निजी काम पूरे करने थे. मैं उपलब्ध नहीं था. मंगलवार को मैं आया. इस्तीफे का निर्धारित प्रारूप हैं. 8 विधायकों के इस्तीफे उस प्रारूप में नहीं थे.
स्पीकर ने मुकुल रोहतगी के आरोप का दिया जवाब
पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के आरोप का जवाब देते हुए स्पीकर रमेश ने कहा कि मैं जल्दबाजी में काम नहीं करता हूं. मैं सिर्फ संविधान के तहत काम करता हूं. मैं सिर्फ संविधान के तहत ही काम करने के लिए बाध्य हूं. उन्होंने कहा कि मैं स्वैच्छिक इस्तीफा लेने के लिए बाध्य हूं. मैं स्वैच्छिक इस्तीफे के बारे में नहीं बोलूंगा. दरअसल, मुकुल रोहतगी ने कहा था कि स्पीकर इस्तीफा स्वीकार करने में देरी कर रहे हैं और पक्षपातपूर्वक काम कर रहे हैं.
मुझे सिर्फ संविधान से प्रेम
स्पीकर रमेश ने कहा कि यह सिर्फ इस्तीफे को स्वीकार करने और खारिज करने का मामला नहीं है. साल 1967 से 1971 के बीच कई पार्टियां टूटीं और राज्य की सरकारें गिरीं. क्या मुझको बिजली की रफ्तार से काम करना चाहिए? और अगर करना चाहिए, तो फिर किसके लिए? ऐसा करने पर नियमों और सूबे की जनता का क्या होगा. मुझको सिर्फ अपने संविधान से प्रेम है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि मेरे पास आज की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग है, जो सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी. उन्होंने कहा कि विधायकों ने मुझसे बात नहीं की और राज्यपाल के पास पहुंच गए. इस पर वो क्या कर सकते हैं? क्या यह यह देश की कार्यप्रणाली का दुरुपयोग नहीं है. इसके बाद विधायक सुप्रीम कोर्ट चले गए. उन्होंने कहा कि मैं इस मामले पर फैसला लेने में इसलिए देरी कर रहा हूं, क्योंकि मैं इस धरती से प्यार करता हूं. मैं जल्दबाजी में काम नहीं करता हूं. मैं इस देश के संविधान और राज्य की जनता प्रति बाध्य हूं.
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश ने सवाल किया कि क्या मुझसे मिलने के लिए विधायकों को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट का भी यही मानना है. मुझसे मिलने से विधायकों को किसने रोका? वो मुझसे मिलने की बजाय मुंबई में जाकर बैठ गए और सुप्रीम कोर्ट चले. इसके साथ ही मुझ पर इस्तीफा नहीं स्वीकार करने का आरोप लगा दिया गया.