कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार मंगलवार को गिरने के साथ ही कर्नाटक में बीजेपी सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. इसी के साथ कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की बीएस येदियुरप्पा की महत्वाकांक्षा भी आखिरकार पूरी होने के आसार एक बार फिर बन गए हैं. हालांकि कर्नाटक के सियासी इतिहास को देखते हुए लगता है कि येदियुरप्पा का राजनीतिक सफर भी आसान नहीं होगा.
दरअसल बीजेपी हाईकमान शुरू से ही कर्नाटक सरकार को गिराने के लिए जिम्मेदार नहीं बनना चाहता था. इसीलिए पूरे मामले में किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. बीजेपी चाहती थी कि कांग्रेस-जेडीएस सरकार खुद ही गिर जाए और उसका हाथ साफ रहे. बीएस येदियुरप्पा की अभिलाषा के चलते सारे दांव-पेंच अपनाए गए और आखिरकार कुमारस्वामी सरकार गिर गई.
कर्नाटक के बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है. वे इसी विधानसभा कार्यकाल में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. वे यह जानते हैं कि अभी नहीं, तो कभी नहीं. इसके पीछे अहम कारण है येदियुरप्पा की उम्र. वे 76 साल के हो चुके हैं और वे यह नहीं जानते कि अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी टिकट देगी या नहीं. इस पर साफ तौर पर कहा नहीं जा सकता.
दरअसल बीजेपी में नियम है कि 75 साल से अधिक आयु के नेता को किसी भी चुनाव का टिकट नहीं दिया जाएगा. मतलब साफ है, येदियुरप्पा यदि अब मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो भविष्य में सीएम तो दूर विधायक भी नहीं बन पाएंगे. उनके लिए यही अंतिम मौका है जिसे वे खोना नहीं चाहते हैं.
विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के फौरन बाद बीएस येदियुरप्पा ने राज्य सरकार का नेतृत्व करने का ऐलान किया. हालांकि, अगर जमीनी स्तर पर देखें तो यह इतना भी आसान नहीं होगा. क्योंकि 224 संख्याबल वाले विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 113 की संख्या होनी चाहिए. मौजूदा समय में बीजेपी के पास 105 विधायक हैं.
हालांकि पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद मई महीने में बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन, बहुमत साबित करने में असफल रहने के कारण ढाई दिन बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. अब उनके फिर मुख्यमंत्री बनने की घड़ी नजदीक दिख रही है. हालांकि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है.
कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में अगर विधानसभा अध्यक्ष उन्हें स्वीकार कर लेते हैं या फिर उन्हें अयोग्य घोषित कर देता है. इस तरह से इस्तीफा स्वीकार होता है तो दोबारा से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन अगर अयोग्य घोषित कर देते हैं तो फिर उनके चुनाव लड़ने की संभावना खत्म हो जाएगी.
हालांकि अगर कर्नाटक में बीजेपी सरकार बनती है और उपचुनाव होते हैं तो कोई दिक्कत नहीं होगी. अगर उपचुनाव में भी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन एक साथ मिलकर चुनाव लड़ता है और परिणाम उनके पक्ष में जाता है तो फिर सियासी उठापटक शुरू हो जाएगी. ऐसे में येदियुरप्पा का सफर कांटों भरा होगा और सरकार भी डगमगाती रहेगी.
इस बात के संकेत कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने भी दे दिए हैं. शिवकुमार ने मंगलवार को विधानसभा में कहा था कि बागी विधायकों ने मेरी पीठ में चाकू घोंपा है, लेकिन चिंता मत करो वो बीजेपी वालों के साथ भी ऐसा करेंगे. मैं आपसे कह रहा हूं कि वो लोग मंत्री नहीं बन पाएंगे. उन्होंने कहा कि जब मैं बागी विधायकों से मिलने मुंबई गया तो उन्होंने मुझे कहा कि हम यहां से जाना चाहते हैं.