कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार खतरे में दिखाई दे रही है. अभी तक गठबंधन सरकार के 13 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. साथ ही और भी विधायक इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि, अभी तक इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि विधायकों के इस्तीफे के कारण कर्नाटक विधानसभा के समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस स्थिति का जिम्मेदार बीजेपी है.
कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस सरकार गिरने के पूरे आसार हैं. हालांकि कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार बनना किसी चमत्कार से कम नहीं था. भारतीय जनता पार्टी विधानसभा में सबसे पड़ी पार्टी है. जहां कांग्रेस दूसरे नंबर पर तो कुमारस्वामी की 'जेडीएस' तीसरे नंबर की पार्टी है. फिर भी कांग्रेस ने तीसरे नंबर की पार्टी को मुख्यमंत्री पद दे दिया और उस सरकार में शामिल हो गई.
कर्नाटक पर सियासी संकट
इस सरकार के बनने के साथ ही उसके गिरने की भविष्यवाणियां की जा रही थीं. अब कांग्रेस-जेडीएस के 13 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इससे कुमारस्वामी की सरकार गिरना तय लग रहा है.
कर्नाटक का संकट सियासी है. उसके लिए सिर्फ भाजपा की महत्वाकांक्षा ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता भी उतने ही जिम्मेदार हैं. सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पिछड़ गई. इसके बावजूद कांग्रेस ने अपनी ताकत बचाकर रखी थी. भारतीय जनता पार्टी 105 सीटें जीती और कांग्रेस 78 व जेडीएस ने 37 सीटें जीती थी. फिर भी कांग्रेस-जेडीएस ने गठबंधन से सरकार बना ली.
बहुमत का आंकड़ा 113 होने के कारण यह सरकार व्यवस्थित चल सकती थी. पर सबसे बड़ा सवाल था क्या सिद्धारमैया इस सरकार को चलने देना चाहते थे क्या? 13 महीने की ये सरकार पहले दिन से अभागी साबित हुई. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री हैं तब भी उनके बैक सीट पर सिद्धारमैया बैठे थे. इसलिए सरकार चलाना कुमारस्वामी के लिए मुश्किल साबित हुआ. देखा जाए तो आम सभाओं के जरिये ये दुख उन्होंने कई बार व्यक्त किया.
क्या तीन राज्यों में बनेगी भाजपा की सरकार?
हलांकि कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दिया पर उसके नेता सरकार का सूत्रधार बनने की कोशिश में थे. सच कहें तो लोकसभा चुनाव के पहले सरकार गिराई जा सकती थी पर भाजपा ने इस कार्य को आगे ढकेल दिया. लेकिन अब उसके पूरा होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कुछ दिनों पहले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हैदराबाद में कहा था कि, 'दक्षिण के तीन राज्यों में भाजपा की सरकार आएगी. जिनमें केरल, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश शामिल हैं.'
उसमें कर्नाटक का नाम जोड़ने में दिक्कत नहीं थी क्योंकि यहां जैसा निश्चित था वैसा ही होता दिख रहा है. वही मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकार भी संकट में आ सकती है. माना जा रहा है कि कर्नाटक जैसी परिस्थिति उन राज्यों में भी पैदा हो सकती हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को ही ये बात कही है कि कांग्रेस के कुछ विधायक हमारे संपर्क में हैं लेकिन हम तोड़फोड़ करके सरकार नहीं बनाएंगे. तोड़फोड़ करके सरकार बनानी है कि नहीं इस पर राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत है. वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश में ऐसी परिस्थिति है की अगर फूंक मारी तो उनकी सरकार गिर जाएगी. ये सच है कि विधायक दल-बदलने को तैयार हैं.
गोवा की भाजपा सरकार अल्पमत में थी आखिरकार वो अब स्थिर हो गई है. कांग्रेस के विधायकों ने सीधे इस्तीफा दिया. वहीं भाजपा में आकर मंत्री बन गए परंतु पणजी का विधानसभा उपचुनाव भाजपा हार गई. यहां से मनोहर पर्रीकर जीतकर आते थे. ऐसा लग रहा है कि देश में विपक्ष की सरकारें अब ज्यादा नहीं टिकेंगी और भाजपा का एकछत्र राज्य पूरे देश में होने वाला है. कर्नाटक की घटना तो यही कह रही है.