'आज तक' के 'ऑपरेशन राज्यसभा' के बाद वोटों के खरीद-फरोख्त के मामले में जहां एक ओर कांग्रेस चौकन्ना हो गई है, वहीं चुनाव टालने के लिए आयोग में माथापच्ची शुरू हो गई है. इसी बीच कांग्रेस ने कथित तौर पर कर्नाटक के 14 निर्दलीय विधायकों को मुंबई भेज दिया है.
निर्वाचन अधिकारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से इस बात पर सफाई मांगी कि क्या उन्होंने उनके वोट के बदले उन्हें विकास निधि में बढ़ोत्तरी का वादा किया है. मुख्यमंत्री को चुनाव आयोग का यह संदेश तब आया है, जब विधायकों को रविवार रात कथित रूप से मुंबई ले जाया गया और वहां पंचसितारा होटल में ठहराया. वहां ले जाने की वजह शायद यह है कि राज्य से राज्यसभा की चार सीटों के लिए 11 जून को हो रहे द्विवाषिर्क चुनाव में अन्य पक्ष अपने पाले में न कर लें.
जब इस संबंध में पूछा गया तो सिद्धरमैया ने कहा, 'मैं नहीं जानता, वे शायद अपने निजी काम से गए हों, मैं कैसे जानूंगा?' इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस विधायक एसटी सोमशेखर भी उनके साथ हैं, उन्होंने कहा, 'सोमशेखर उनके साथ क्यों नहीं जा सकते? हो सकता है वह भी मुंबई गए हों. मैं कुछ नहीं जानता, किसी ने मुझसे बात नहीं की है.'
चुनाव आयोग में माथापच्ची
चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धनबल के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए चुनाव आयोग ‘वोट के बदले नोट’ के आधार पर चुनाव रद्द करने की तैयारी में है. ईसी इस बाबत इजाजत पाने के लिए सरकार से चुनाव कानून में बदलाव करने का अनुरोध कर सकता है. फिलहाल संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत आयोग को उसी स्थिति में चुनाव रद्द करने या स्थगित करने का अधिकार है, जब वोट पाने के लिए धन के इस्तेमाल से चुनाव का माहौल बिगड़ा हो.
जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन चाहता है ईसी
चुनाव पैनल चाहता है कि सरकार चुनाव रद्द करने के लिए धनबल के इस्तेमाल को आधार बनाने के वास्ते जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करे. जन प्रतिनिधित्व कानून के एक प्रावधान के मुताबिक, चुनाव आयोग को केवल तभी चुनाव रद्द करने इजाजत है, जब चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल किया गया हो या बूथ कैप्चर किया गया हो.
कानून मंत्रालय को चिट्ठी लिखने की तैयारी
आयोग के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि यदि धनबल के इस्तेमाल के आधार पर चुनाव रद्द करने का प्रावधान कानून में शामिल कर लिया जाए और आयोग को इसके लिए अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करना न पड़े तो बेहतर रहेगा. अधिकारियों ने कहा कि आयोग इस प्रावधान को शामिल करने के वास्ते जन प्रतिनिधित्व कानून में बदलाव के लिए आने वाले दिनों में कानून मंत्रालय को पत्र लिख सकता है.
अभी तक तय नहीं है चुनाव कार्यक्रम
बता दें कि 27 मई को चुनाव आयोग ने तमिलनाडु के राज्यपाल से अर्वाकुरिची और तंजावूर विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव कराने की अधिूसचना रद्द करने की सिफारिश की थी. ऐसा इसलिए किया गया कि इस बात के सबूत मिले थे कि वहां मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए बड़ी मात्रा में धनराशि उपयोग की गई थी. राज्य में 16 मई को विधानसभा चुनाव हुए और अन्नाद्रमुक दूसरी बार सत्ता में आई. लेकिन आयोग ने इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव का नया कार्यक्रम अभी तक तय नहीं किया है.