कर्नाटक में विधायकों की अयोग्यता मामले में कांग्रेस की कारस्तानी से सुप्रीम कोर्ट नाराज़ है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग के वकील ने कहा कि आयोग के उपचुनाव टालने के फैसले को कांग्रेस ने कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
आयोग हाई कोर्ट में चल रहे इस मामले पर रोक लगाने की इजाजत चाहता है. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि जब हम यहां सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रहे हैं तो आपको हाई कोर्ट जाने की जरूरत क्या थी? सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को ये अनुमति दी है कि वो हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई को रोकने की अर्जी दाखिल कर सकता है.
कर्नाटक के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने विधानसभा में विश्वास मत से एक दिन पहले 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. बागी विधायकों ने अपनी अयोग्यता को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद न्यायमूर्ति एम.एम. शांतनगौदर ने खुद को कर्नाटक से होने का हवाला देते हुए कहा कि कहा था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें इस मामले की सुनवाई की अनुमति नहीं दे रही है.
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जद-एस सरकार के 15 बागी विधायक अपना इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार गिर गई थी . ऐसे में उपचुनावों की घोषणा से बागी विधायकों की मुसीबत बढ़ सकती थी. क्योंकि उपचुनाव होता तो अयोग्य विधायक चुनाव नहीं लड़ पाते.
उपचुनाव में भाजपा को 6 सीटों पर जीत की जरूरत
कर्नाटक में उपचुनाव के होने की स्थिति में बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का अस्तित्व बनाए रखने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को कम से कम 6 विधानसभा सीटें जीतने की जरूरत है. सत्तारूढ़ भाजपा के पास वर्तमान में 106 विधायकों का समर्थन है, जिसमें निर्दलीय विधायक एच. नागेश भी शामिल हैं.