कर्नाटक चुनाव 2018 के नतीजे त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति लेकर सामने आए हैं. राज्य में 104 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. सत्तारूढ़ कांग्रेस 78 सीट पर जीत पाई और जेडीएस 38 सीटों पर जीत के साथ बेहद अहम भूमिका में खड़ी है. इसके इतर वाराणसी में एक निर्माणाधीन पुल टूट गया है और एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई. लेकिन बेंगलुरू में राजनीति के गलियारे में एक नया पुल तैयार हुआ है और इस नए पुल ने जोड़ने का संकेत देना शुरू कर दिया है.
कर्नाटक में 78 सीटों के साथ विधानसभा पहुंची कांग्रेस ने 38 सीटों वाली जेडीएस को नई सरकार बनाने के लिए समर्थन की पेशकश की है. पेशकश के मुताबिक सरकार जेडीएस की होगी, मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी होंगे और कांग्रेस का समर्थन बिना किसी शर्त के साथ है. कर्नाटक की राजनीति में इस नए पुल के निर्माण का स्वागत पश्चिम बंगाल में बैठी टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया है.
ममता बनर्जी ने कांग्रेस के प्रस्ताव पर कहा कि "मैं हमेशा से कहती आई हूं कि देश की राजनीति में क्षेत्रीय मोर्चा और क्षेत्रीय पार्टियों की बेहद अहम भूमिका है." अपने बयान से ममता ने साफ शब्दों में कहा कि यदि राष्ट्रीय पार्टियां क्षेत्रीय पार्टियों का भरोसा नहीं जीतती हैं तो उनके लिए मौजूदा राजनीति में टिकना नामुमकिन है.
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कर्नाटक नतीजों पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए ममता बनर्जी ने ट्वीट के सहारे दावा किया कि यदि कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा होता तो नतीजे बहुत अलग देखने को मिलते. ममता के इस ट्वीट के महज दो घंटे बाद कांग्रेस ने जेडीएस को सरकार बनाने का प्रस्ताव दे दिया और यह भी मान लिया कि वोटिंग खत्म होने के बाद से वह जेडीएस के साथ सरकार बनाने की कवायद में जुटी थी.
अब कर्नाटक के इस पुल के निर्माण के बाद ममता बनर्जी ने एक और पुल की संभावनाओं को जाहिर किया. हालांकि इस संभावना को जाहिर ममता बनर्जी ने अपने खास अंदाज में किया. ममता ने 38 सीट जीतने वाली जेडीएस को बधाई दी लेकिन 78 सीटों पर जीतने वाली और बीजेपी अधिक वोट शेयर लाने वाली कांग्रेस को बधाई देना उचित नहीं समझा.
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ममता बनर्जी को कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम में खुशी दो बातों से है. पहला, अब कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में अपने किरदार को लेकर भ्रम की स्थिति नहीं है. दूसरा, कांग्रेस में नया अध्यक्ष कोई भी हो पार्टी की कमान यूपीए का प्रतिनिधित्व कर रही सोनिया गांधी के हाथ में है. ममता का दावा है कि कर्नाटक नतीजों से कांग्रेस को साफ समझ आ चुका है कि अब क्षेत्रीय दलों के सामने कांग्रेस पार्टी न तो अपने राष्ट्रीय चरित्र का दंभ भरेगी और न ही राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले किसी गठबंधन अथवा महागठबंधन के नेतृत्व को अपने लिए सुरक्षित रखने की कोशिश करेगी.
ममता बनर्जी ने 2019 के आम चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को रोकने के लिए कर्नाटक में निर्माण हो रहे पुल का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर करने का रास्ता सुझाया है. इसके पीछे उनकी गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने और देश का पीएम बनने की दबी इच्छा भी है. अब इंतजार इस बात है कि ममता बनर्जी के इस फॉर्मूले पर कांग्रेस अपने हिस्से का पुल कैसे आगे बढ़ाती है. फिलहाल, कर्नाटक की स्थिति से ममता बनर्जी बेहद खुश हैं और वाराणसी के गिरे पुल से वह दुखी हैं.