कर्नाटक और गोवा में तेजी से बदल रहे राजनीतिक समीकरण पर पूरे देश की निगाहें हैं. इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार को विपक्ष घेर रहा है. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर धनबल से विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया है. मायावती ने इससे निपटने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की.
सोशल नेटवर्किंग साइट टि्वटर पर मायावती ने लिखा, 'बीजेपी एक बार फिर कर्नाटक व गोवा आदि में जिस प्रकार से अपने धनबल व सत्ता का घोर दुरुपयोग करके विधायकों को तोड़ने आदि का काम कर रही है. यह देश के लोकतंत्र को कलंकित करने वाला है. वैसे अब समय आ गया है जब दलबदल करने वालों की सदस्यता समाप्त हो जाने वाला सख्त कानून देश में बने.'
बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा, 'बीजेपी ईवीएम में गड़बड़ी व धनबल आदि से केंद्र की सत्ता में दोबारा आ गई लेकिन 2018 और 2019 में देश में अबतक हुए सभी विधानसभा आमचुनाव में अपनी हार की खीज अब वह किसी भी प्रकार से गैर-बीजेपी सरकारों को गिराने के अभियान में लग गई है, जिसकी बीएसपी कड़े शब्दों में निंदा करती है.'
इससे पहले बीएसपी ने संसद परिसर में कर्नाटक और गोवा मुद्दे पर बीजेपी का विरोध किया. इस विरोध प्रदर्शन में कई विपक्षी पार्टियां शामिल हुईं. सपा, बसपा, टीएमसी, माकपा और एनसीपी जैसे दलों ने एकसुर में कहा कि बीजेपी कर्नाटक और गोवा में सरकारों को अस्थिर कर रही है. बीएसपी नेता दानिश अली ने कहा कि उनकी पार्टी विपक्ष के साथ एकजुट खड़ी है. अली ने कहा कि बीजेपी लोकतंत्र को कमतर करने के लिए हर कोशिश आजमा रही है.
बीते 5 जून को मायावती ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह बजट बड़े पूंजीपतियों को राहत पहुंचाने वाला है. मायावती ने टि्वटर पर लिखा, "यह बजट प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर कुछ बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की ही हर प्रकार से मदद करने वाला है. इससे दलितों और पिछड़ों के आरक्षण को ही नुकसान नहीं होगा, बल्कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, किसान और ग्रामीण समस्या और भी जटिल होगी. देश में पूंजी का विकास भी इससे संभव नहीं है."
उन्होंने कहा, "भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा बजट को हर मामले में और हर स्तर पर लुभावना बनाने की पूरी कोशिश की गई है लेकिन देखना है कि इनका यह बजट जमीनी हकीकत में देश की आम जनता के लिए कितना लाभदायक सिद्ध होता है. ऐसे में जबकि पूरा देश गरीबी, बेरोजगारी, बदतर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा से पीड़ित व परेशान है."