बेंगलुरु के चर्चित आई मॉनेटरी एडवाइजरी (आईएमए) घोटाला मामले के आरोपी मंसूर खान पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. मंसूर खान से जुड़े आईएमए घोटाले की जांच के लिए बेंगलुरु के एक क्षेत्रीय आयुक्त (रीजनल कमिश्नर) को नियुक्त किया गया है. बता दें कि मंसूर खान पर करीब 30 हजार मुस्लिम लोगों को ठगने का आरोप है. उसे 19 जुलाई को देर रात दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था.
वह करीब 2000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर दुबई भाग गया था. अब तक, आईएमए स्कैम की जांच डिप्टी कमिश्नर रैंक के अधिकारी द्वारा की जा रही थी लेकिन बुधवार को कर्नाटक सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से जांच का नेतृत्व बेंगलुरु डिवीजन के रीजनल कमिश्नर को करने के लिए कहा है.
कनार्टक सरकार के आर्डर की कॉपी इंडिया टुडे को उपलब्ध है, जिसके मुताबिक कर्नाटक सरकार ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपोडिटर्स इन फाइनेंशियल इस्टेब्लाइसमेंट्स एक्ट- 2004 (2005 के कर्नाटक एक्ट.30) के सेक्शन 5 के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए आईएमए स्कैम मामले की जांच के लिए क्षेत्रीय आयुक्त, बेंगलुरु डिवीजन, 'सक्षम प्राधिकारी' को तत्काल प्रभाव से नियुक्त करती है.’
कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार को राज्य सरकार को एक डिप्टी कमिश्नर के पद से उच्च अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था. आईएमए स्कैम के मुख्य आरोपी मंसूर खान को ईडी ने गिरफ्तार किया था. मंसूर खान अभी ईडी की हिरासत में है और सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय वित्तीय जांच एजेंसिया उसके राजनीतिक संबंधों को भी खंगाल रही ही हैं.
कर्नाटक सरकार की अधिसूचना के अनुसार, ‘यह सरकार के नोटिस में आया है कि फाइनेंशियल इस्टेब्लाइसमेंट्स अर्थात, मेसर्स आई मॉनेटरी एडवाइजरी (आईएमए) और इसके समूह निकाय धोखाधड़ी लेनदेन में शामिल हैं और अपने जमाकर्ताओं को जमा राशि वापस करने में विफल रहे हैं. इसलिए, सरकार ने कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपोडिटर्स इन फाइनेंशियल इस्टेब्लाइसमेंट्स एक्ट- 2004 के तहत निर्दिष्ट प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया है.’
क्या है पूरा मामला
मंसूर खान की आईएमए ने अपनी स्कीम में 14 से 18 फीसदी के भारी रिटर्न का लालच देकर हजारों निवेशक को धोखा दिया था जिसके बाद करीब 25 हजार लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने आईएमए जयनगर के दफ्तर में और मंसूर खान के घर में छापा मारा था. जिसमें करोड़ों रुपये की ज्वैलरी और दस्तावेज जब्त किए थे. बता दें कि पोंजी स्कीम एक तरह की धोखाधड़ी है जिसमें निवेशकों को लुभाने के लिए नए निवेशकों से लिए गए पैसे पुराने निवेशकों को लाभ के तौर पर दे दिया जाता है.