कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बने एक हफ्ता हो गया है. घोषणापत्र में किए गए वादे के अनुसार मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को एक हफ्ते में किसानों का कर्ज माफ करना था. इसी को लेकर बुधवार को उन्होंने राज्य के कुछ किसानों से बात की. उन्होंने ट्वीट कर बताया कि किसानों से कर्ज को लेकर उन्होंने एक कमेटी बनाई है, जो अगले 15 दिनों में पूरी नीति तैयार करेंगे.
इसके अलावा कर्नाटक के सीएम गुरुवार सुबह 11 बजे कर्नाटक राज्य किसान यूनियन के लोगों से साथ बैठक करेंगे. बैठक में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शामिल होंगे. ये बैठक बेंगलुरु के कनिष्का होटल में बुलाई गई है.
कुमारस्वामी ने ट्वीट किया कि अपने वादे के अनुसार एक हफ्ते में ही मैंने किसानों का कर्ज माफ करने की ओर कदम बढ़ा दिया है. बुधवार को उन्होंने कुछ किसानों को बुलाकर उनकी समस्याएं पूछी और उनके सुझाव लिए. उनके सुझाव लेने के बाद उन्होंने अपने अधिकारियों को अगले 15 दिनों में इसको लेकर नीति बनाने को कहा है.
I am committed to waiveoff farmers' crop loans. As promised within 6days of assuming office, I have called the farmers to deliberate on the issue. Today inthe meeting farmers have given me their suggestions&insights on how, for whom, and to what extent loans should be waived.1/n
— CM of Karnataka (@CMofKarnataka) May 30, 2018
कुमारस्वामी ने लिखा कि वह किसानों की मांग पूरी करने के हक में हैं. वह पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के जैसे इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेंगे.
I am taking #Farmers into confidence &will go by their suggestions onthe issue. I have directed officials to frame modalities accordingly in 15days.
I assure the decision will be inline with farmers'demands, and I will not do somersault like the former CM @BSYBJP onthe issue.2/n
— CM of Karnataka (@CMofKarnataka) May 30, 2018
गौरतलब है कि सरकार के गठन के एक हफ्ते बाद भी अभी तक मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के अलावा किसी मंत्री ने शपथ नहीं ली है. कांग्रेस और जेडीएस के बीच अभी तक मंत्रालयों को लेकर समझौता नहीं हो पाया है, इसको लेकर बीजेपी भी लगातार दोनों पार्टियों को निशाने पर ले रही है.
'कांग्रेस की कृपा से ही सीएम'
हाल ही में कुमारस्वामी ने बयान देते हुए कहा था कि वह कांग्रेस की कृपा से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने हैं और राज्य की साढ़े छह करोड़ लोगों के दबाव में नहीं हैं. अब इस बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उनका मतलब लोगों का अनादर करना नहीं था.
बल्कि इस बात पर बल देना था कि यह सहयोगी दल की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कब तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. कुमारस्वामी के इस बयान पर काफी हंगामा मचा था.