scorecardresearch
 

कर्नाटक निकाय चुनाव में कांग्रेस को कामयाबी, जेडीएस और बीजेपी को पछाड़ा

कर्नाटक के निकाय चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस के अलग-अलग चुनाव लड़ने के फैसले के बारे में कहा जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर पार्टियों के कार्यकर्ता राज्य स्तरीय गठबंधन को अभी मान नहीं पाए हैं. यह ऐसा माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन खत्म होने की यह औपचारिक शुरुआत है.

Advertisement
X
कांग्रेस के साथ जेडी(एस) का गठबंधन नहीं है(फाइल फोटो)
कांग्रेस के साथ जेडी(एस) का गठबंधन नहीं है(फाइल फोटो)

Advertisement

कर्नाटक में निकाय चुनावों के नतीजे आज (शुक्रवार) घोषित कर दिए गए. कुल सात श‍हरी म्यूनिसिपल काउंसिल के जारी हुए आंकड़ों में कांग्रेस को 90, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 56, जनता दल सेक्युलर (JDS) को 38, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को 2 और निर्दलीय ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं 6 सीटें अन्य के खाते में गई है.

वहीं, 30 शहरी म्यूनिसिपिल काउंसिल चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस के पक्ष में जाते दिखाई दिए. इसकी कुल 714 सीटों में से कांग्रेस को  322 पर कामयाबी मिली. इसके साथ ही बीजेपी को 184, जेडीएस को 102 और अन्य को 106 में जीत दर्ज की.  

इसके अलावा 19 नगर पंचायतों की 290 सीटों के नतीजे बीजेपी के लिए संतोष देने वाले रहे. जिसमें बीजेपी को 126, कांग्रेस को 97, जेडीएस को 34 और अन्य को 33 सीटें मिली.

Advertisement

karnatka_053119104300.jpg

कर्नाटक में भले ही कांग्रेस और जेडी(एस)की गठबंधन सरकार हो और लोकसभा चुनावों में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा हो, लेकिन निकाय चुनावों में दोनों पार्टियों ने गठबंधन नहीं किया और अलग-अलग उम्मीदवार उतारे.

कर्नाटक निकाय चुनाव में दोनों दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने के फैसले के बारे में कहा जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर पार्टियों के कार्यकर्ता राज्य स्तरीय गठबंधन को अभी मान नहीं पाए हैं. माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन खत्म होने की यह औपचारिक शुरुआत है. कांग्रेस और जेडीएस कार्यकर्ताओं में स्थानीय स्तर पर साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सहमति नहीं बन पा रही है. राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक 29 मई को 63 शहरी निकाय चुनाव कराए गए, जिनके नतीजे 31 मई को घोषित किए गए.

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस और JDS ने कर्नाटक में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें राज्य की 28 में से 25 सीट बीजेपी ने जीतीं थी. वहीं सत्ताधारी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को महज एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा. एक सीट निर्दलीय को भी मिली. लेकिन इससे पहले ही दोनों दलों के नेताओं ने स्थानीय स्तर पर अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था.

दोनों राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे की कट्टर प्रतिद्वंदी रही हैं. दक्षिण कर्नाटक में दोनों के बीच लड़ाई बड़ी दिलचस्प होती रही है. लेकिन पिछले साल मई में हुए विधानसभा चुनावों में दोनों राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव के बाद गठबंधन कर लिया और बीजेपी को सरकार से बाहर कर दिया. 225 सीटों वाली विधानसभा में 104 सीटें जीतने पर भी भाजपा नहीं बन पाई. दशकों से चली आ रही राजनीतिक रंजिशों से पार्टी कार्यकर्ता गठबंधन के बाद भी बाहर नहीं आ सके हैं, जिसकी वजह से लोकसभा चुनाव के नतीजे बेहद खराब रहे.

Advertisement

लोकसभा चुनाव में हार के बाद कर्नाटक में पैदा हुए मतभेदों से जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार संकट में है. इस स्थिति से निपटने के लिए दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से पहल की जा रही है. लेकिन राज्य में गठबंधन की स्थिति सामान्य नहीं है.

Advertisement
Advertisement