कर्नाटक प्रदेश युवक कांग्रेस ने विधायकों के इस्तीफे के मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. युवक कांग्रेस के महासचिव अनिल जोसेफ चाको ने कहा है कि बागी विधायकों का इस्तीफा डिफेक्शन के समान है और इन विधायकों की खरीद- फरोख्त की गई है. सुप्रीम कोर्ट बागी विधायकों की याचिका के साथ ही आज यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगा.
सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडी(एस) के विधायकों के इस्तीफे की सुगबुगाहट कर्नाटक विधानसभा में गूंजने लगी है. विपक्षी दल बीजेपी ने बहुमत साबित करने की मांग के बीच 10 दिन के सत्र के लिए शुक्रवार को बैठक बुलाई है. एक मनोनीत सदस्य सहित 225 सदस्यीय विधानसभा में, 16 विधायकों के इस्तीफे से पहले कांग्रेस के पास 79 जबकि जेडी(एस) के पास 37 विधायक थे. इसके अलावा बीएसपी और क्षेत्रीय दल केपीजेपी के एक-एक सदस्य के अलावा एक निर्दलीय सदस्य भी सरकार के साथ थे.
कांग्रेस के 13 और जेडी(एस) के 3 विधायकों ने अपने इस्तीफे दे दिए थे. इसके अलावा केपीजेपी और निर्दलीय विधायक ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. अब अगर विधानसभा अध्यक्ष सभी इस्तीफों को स्वीकार कर लेंगे तो विधानसभा की प्रभावी ताकत 225 से घटकर 209 हो जाएगी और सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमट जाएगा. इस स्थिति में सत्ता में बने रहने के लिए 105 के जादुई आंकड़े की जरूरत होगी.
अध्यक्ष ने हालांकि इस्तीफे स्वीकार करने से इंकार कर दिया है, कहा गया है कि उनमें से कुछ निर्धारित प्रारूप में नहीं थे और अन्य को व्यक्तिगत रूप से समझाने की आवश्यकता है कि उनके खिलाफ क्यों न एंटी-डिफेक्शन कानून के तहत कार्रवाई की जाए.
इसके बाद बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. दूसरी ओर, बीजेपी 105 विधायकों के साथ एक अवसर को भांपते हुए कुमारस्वामी सरकार पर बहुमत साबित करने के लिए दबाव डाल रही है. बीजेपी का कहना है कि सरकार ने विधानसभा में बहुमत खो दिया है, क्योंकि सत्तारूढ़ सहयोगियों के 16 बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और दो निर्दलियों ने भी समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी ने राज्यपाल से भी अपील की है कि वे अध्यक्ष को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दें.