कर्नाटक में 5 मई को होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में किसी भी पार्टी के पक्ष में कहीं कोई लहर नहीं दिख रही. ऐसे में अंक गणित को लेकर कांग्रेस का नजरिया यथार्थवादी है.
राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शासनकाल भ्रष्टाचार, अंतर्कलह का पर्याय बना रहा और चार वर्षो के भीतर ही पार्टी को तीन मुख्यमंत्रियों को बदलना पड़ा.
कांग्रेस को सात वर्षो के बाद सत्ता मिलने की उम्मीद है, लेकिन राज्य में पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं दिख रही है और 225 सदस्यों वाली विधानसभा में उसे कितनी सीटें मिलेंगी इसे लेकर वह यथार्थवादी दृष्टिकोण रख रही है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जी. परमेश्वर ने कहा कि हम 125 से 130 सीटों पर जीत हासिल करेंगे.
विधानसभा में 224 चुने हुए और एक मनोनीत सदस्यों में यह संख्या जादुई आंकड़े 113 से महज 12 से 13 सीट ज्यादा होंगे. विधानसभा में एक सदस्य एंग्लो-इंडियन समुदाय से मनोनीत किया जाता है.
एक निजी समाचार चैनल में गुरुवार को आए मत सर्वेक्षण में कांग्रेस को 117 से 129 सीट भाजपा के 39 से 49 सीट हासिल करने का अनुमान जाहिर किया गया है.
कांग्रेस का गंभीर रुख बुधवार को ए.के. एंटनी में नजर आया. एंटनी चुनाव के लिए पार्टी की समन्वय समिति के प्रमुख हैं. बेंगलुरू में कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए एंटनी ने कहा कि हमारा फीडबैक यही है कि हम राज्य में सरकार बना सकते हैं.
यह आकलन इस वास्तविकता को महसूस किए जाने पर आधारित है कि भाजपा के प्रति लोगों में गुस्सा कांग्रेस के पक्ष में वोट के रूप में तब्दील नहीं हो रहा है. इसका कारण यह है कि अंतर्कलह और भ्रष्टाचार को लेकर दोनों पार्टियां एक नाव में सवार दिखती हैं.