कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए सियासी जमीन तैयार हो रही है और चुनावी शंखनाद में ही हिंदुत्व का मुद्दा गर्मा गया है. दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दल बीजेपी और कांग्रेस में असली हिंदू को लेकर बयानबाजी जारी है. इस बहस के केंद्र में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. अब एक और मुद्दे पर दोनों मुख्यमंत्रियों की चर्चा हो रही है.
दरअसल, सिद्धारमैया ऐसे लोगों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की तैयारी कर रहे हैं, जो सांप्रदायिक तनाव और उन्माद की घटनाओं में आरोपी बने. इस संबंध में सिद्धारमैया सरकार पुलिस विभाग को पिछले दो महीने में चार सर्कुलर भेज चुकी है. सरकार ने अल्पसंख्यक, किसान और कन्नड़ समर्थकों से जुड़े ऐसे केस की डिटेल्स मांगी है. सिद्धारमैया के इस कदम के बाद बीजेपी ने उन्हें हिंदू विरोधी करार दिया है.
यूपी सरकार ने भी की मांगी जानकारी
बीजेपी भले ही कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर अल्पसंख्यकों और किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के कदम को हिंदू विरोधी बता रही हो, लेकिन ऐसा ही एक स्टेप यूपी की योगी सरकार ने भी उठाया है.
योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल में मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी नेताओं से जुड़े केस की जानकारी संबंधित अधिकारियों से मांगी है. सरकार ने पूछा है कि इन नेताओं के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की क्या संभावनाएं हैं?
मुजफ्फरनगर दंगे में मारे गए 60 से ज्यादा लोग
दरअसल, पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाके में 2013 में दंगा हुआ था. अगस्त-सितंबर महीने में हुए सांप्रदायिक दंगे में 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से अधिक लोग बेघर हुए थे. दंगों के वक्त सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. फसाद फैलाने के आरोप में इलाके के सभी दलों से जुड़े नेताओं के खिलाफ केस दर्ज हुए थे.
5 जनवरी को योगी सरकार ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा केस में बीजेपी नेताओं के खिलाफ अदालत में लंबित 9 आपराधिक मामलों को वापस लेने की संभावना पर सूचना मांगी है.
कर्नाटक में भी कांग्रेस सरकार के दौरान कई हिंसक झड़प सामने आई हैं. खासकर, 2015 में बड़ी संख्या में सूबे में 250 से ज्यादा फसाद की घटनाएं हुईं. हाल ही में कर्नाटक सरकार ने एक आंकड़ा जारी कर बताया था कि 2015 के दौरान सांप्रदायिक झड़प के आरोप में 250 से ज्यादा मुस्लिमों की गिरफ्तारियां हुईं, जबकि करीब 300 हिंदू आरोपी अरेस्ट हुए.
अब सिद्धारमैया सरकार ने अल्पसंख्यक, किसान और कन्नड़ समर्थकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने का कदम उठाया है. हालांकि, इस संबंध में अभी कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन सरकार ने ऐसे मुकदमों की जानकारी मांगी है. जिसे बीजेपी ने सिद्धारमैया सरकार का हिंदू विरोधी कदम बताया है.
दरअसल, इसके पीछे वजह ये भी है कि बीजेपी कांग्रेस सरकार के दौरान कर्नाटक में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप लगाती रही है. ऐसे में अब जब सिद्धारमैया सरकार ऐसे मामलों से जुड़े केस वापस लेने के मूड में है तो बीजेपी को आक्रामक होने का एक और मौका मिल गया है.
योगी और सिद्धारमैया में बयानबाजी
बीजेपी कर्नाटक में परिवर्तन रैली कर रही है. जिसके तहत यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जनवरी की शुरुआत में बंगलुरू गए. नव कर्नाटक परिवर्तन रैली में योगी ने कहा था, 'कर्नाटक के मुख्यमंत्री बयान दे रहे हैं कि वह हिंदू हैं. आज उन्होंने हिंदुओं की ताकत देखी तो हिंदुत्व याद आ रहा है. ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी को गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मंदिर याद आ रहे थे. हिंदुत्व गोमांस खाने की वकालत नहीं करता है. कर्नाटक के सीएम से मैं पूछना चाहता हूं कि अगर वह हिंदू हैं तो गोमांस खाने की पैरवी करना कितना उचित है?'
दरअसल, इससे पहले सिद्धारमैया ने खुद को 100 फीसदी हिंदू करार दिया था. साथ ही ये भी कहा था कि बजरंग दल और आरएसएस में भी अतिवादी लोग हैं. जिस पर काफी बवाल हुआ था. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच ट्विटर वॉर भी देखने को मिला था.
तो दोनों नेताओं के बीच हिंदुत्व के मुद्दे पर भले ही खींचतान देखने को मिली हो, लेकिन अपने-अपने राज्यों में दोनों पार्टी हितों के लिहाज से एक जैसे कदम उठाते दिख रहे हैं. कर्नाटक में इसी साल मई में चुनाव होने हैं, तो यूपी को 2019 में होने वाले आम चुनाव का सामना करना है.