कर्नाटक सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन बागी विधायकों को स्पीकर रमेश कुमार ने अयोग्य घोषित कर दिया है. इनमें निर्दलीय विधायक आर शंकर भी शामिल हैं. आर. शंकर कर्नाटक सरकार में निगम प्रशासन मंत्री थे. बाद में उन्होंने सरकार से इस्तीफा दे दिया था और बागी विधायकों के साथ मुंबई चले गए थे. जानकारी के मुताबिक, आर शंकर ने अपनी पार्टी केपीजेपी का कांग्रेस में विलय कर लिया था.
आर. शंकर के अलावा अयोग्य घोषित होने वाले कांग्रेस के दो बागी विधायकों में रमेश जरकिहोली और महेश कुमथल्ली का नाम है. स्पीकर ने कांग्रेस के दो विधायकों और एक निर्दलीय विधायक को 2023 में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक अयोग्य करार दिया है. अपने फैसले में स्पीकर ने कहा कि वे अगले कुछ दिनों में बाकी 14 मामलों पर फैसला करेंगे.
स्पीकर की बातों से साफ है कि बाकी 14 विधायकों पर वे तत्काल फैसला लेने वाले नहीं हैं क्योंकि गुरुवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने साफ कर दिया कि अगले कदम के बारे में उन्हें काफी कुछ पढ़ना पड़ेगा. सभी साक्ष्यों पर बारीकी से ध्यान देने के बाद ही वे कोई फैसला लेंगे. स्पीकर की बात यह दर्शाती है कि इस्तीफा देने वाले विधायक अगर अयोग्य घोषित नहीं होते हैं तो वे विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे.
कर्नाटक में फिलहाल, स्पीकर के स्तर से त्वरित फैसले न होने के चलते अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में बीजेपी भी 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपनाए हुए है. कहा जा रहा है कि पिछली बार जल्दबाजी में सरकार बनाकर भुगत चुकी बीजेपी अब फूंक-फूंककर कदम उठाने के मूड में है. ऐसे में वह दावा पेश करने में वक्त लगाएगी. ऐसी सूरत में कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगने की भी प्रबल संभावनाएं नजर आ रहीं हैं.संख्याबल की बात करें तो 3 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद विधानसभा में 223 विधायक रह गए. इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 112 बैठता है. बीजेपी के पास फिलहाल 105 विधायक हैं. उसे अभी और 7 विधायकों की जरूरत होगी. अयोग्य घोषित हुए 3 विधायक अब बीजेपी के पाले में नहीं आ सकते क्योंकि स्पीकर ने मौजूदा कार्यकाल खत्म होने तक इन्हें अयोग्य घोषित किया है.
यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में ये विधायक अपनी लड़ाई जीत लें और बीजेपी को समर्थन दे दें. इसकी संभावना काफी कम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने स्पष्ट कर दिया था कि स्पीकर को बागी विधायकों के बारे में फैसला लेने का पूरा हक है. इस लिहाज से अयोग्य करार दिए गए 3 विधायक अब कहीं के न रहे, ऐसा मान सकते हैं.
राष्ट्रपति शासन के प्रबल संकेत
बीजेपी साफ कर चुकी है कि उसे राज्यपाल से मिलने और दावा पेश करने की जल्दी नहीं है. इसका वाजिब कारण है क्योंकि उसे पता है कि जरूरी संख्याबल उसके पास नहीं है. सरकार बनाने के लिए बीजेपी पूरी तरह से इस पर निर्भर है कि स्पीकर बागी विधायकों के बारे में जल्दी फैसला लें लेकिन अब यह भी अधर में लटकता दिख रहा है. ऐसी हालत में अब कर्नाटक में क्या होगा?
इसका जबाब बीजेपी के कर्नाटक प्रवक्ता जी.मधुसूदन पहले ही दे चुके हैं. मधुसूदन के मुताबिक, "अगर विधानसभा अध्यक्ष बागी विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार करने या खारिज करने में ज्यादा समय लेते हैं तो राज्यपाल (वजुभाई वाला) राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं, क्योंकि इस तरह की स्थिति में हम सरकार बनाने के लिए दावा करना पसंद नहीं करेंगे." लिहाजा बीजेपी के लिए सरकार बनाना अभी दूर की कौड़ी साबित होती दिख रही है.