कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार का संकट बढ़ता ही जा रहा है. जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के 11 विधायक शनिवार को इस्तीफा देने के लिए स्पीकर कार्यालय पहुंच गए और अपना इस्तीफा सौंप दिया. विधायकों के इस कदम के बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है और सरकार गठन को बेताब बीजेपी के लिए रास्ता आसान होता नजर आ रहा है.
असल में, कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं, बहुमत के लिए 113 विधायक चाहिए. फिलहाल बीजेपी के 105 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 37 विधायक हैं. इस तरह से दोनों के पास कुल 117 विधायक हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय विधायक भी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं.
हालांकि पिछले दिनों कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफा देने और एक विधायक को निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 77 रह गई है. कांग्रेस-जेडीएस की संख्या 114 रह गई है. वहीं, बीजेपी पहले से ही दावा कर रही है कि कांग्रेस के 6 और जेडीएस के 2 विधायकों का गुप्त रूप से समर्थन मिला हुआ है, जो जल्द ही इस्तीफा देंगे.
बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने की उम्मीद लगाए बैठी है और लगातार इसके लिए दावे भी कर रही है. जेडीएस-कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से कुमारस्वामी की मुश्किलें बढ़ रही हैं, लेकिन बीजेपी अभी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि बीजेपी साइलेंट ऑपरेशन लोटस चला रही है, ताकि ऐसी स्थिति बने जब कुमारस्वामी बहुमत से नीचे आ जाएं और बीजेपी अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करे.
गौरतलब है कि ऑपरेशन लोटस के जरिए बीजेपी 2008 में भी कर्नाटक में सरकार बनाने में सफल रही थी. उस समय बीजेपी 224 में से 110 सीटें जीतकर आई थी. ऐसे में बहुमत के आंकड़े को छूने के लिए बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस का इस्तेमाल किया था. कांग्रेस और जेडीएस के आठ विधायकों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद इन सभी 8 नेताओं को बीजेपी ने अपने चुनाव चिन्ह पर विधानसभा उपचुनाव लड़ाया था, जिसमें से पांच बीजेपी से जीतकर आए और तीन हार गए थे. इस तरह से बीजेपी ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया था.इस बार भी अगर बीजेपी की रणनीति सफल रहती है तो कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस सरकार के लिए आने वाले दिन मुश्किलों वाले साबित हो सकते हैं.