भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए अगले महीने करतारपुर कॉरिडोर खोल दिए जाने की संभावना है. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए शुल्क को लेकर विवाद बना हुआ है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान सभी तीर्थयात्रियों से 20 डॉलर का शुल्क लेने पर जोर दे रहा है. हमने पाकिस्तान से तीर्थयात्री के लिए ऐसा नहीं करने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत और पाकिस्तान सेवा शुल्क को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों पर सहमत हो गए हैं. हमें उम्मीद है कि इस समझौते का समापन और शानदार आयोजन के लिए समय पर हस्ताक्षर किया जा सकता है. रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान के साथ कई दौर की चर्चा के बाद सेवा शुल्क को छोड़कर अन्य सभी मुद्दों पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं.
बता दें कि पाकिस्तान हर श्रद्धालु से 20 अमेरिकी डॉलर यानी 1428 रुपये वसूलने पर अड़ा हुआ है. भारत सरकार पाकिस्तान से कई बार इस एंट्री फीस को न वसूलने की अपील कर चुका है, लेकिन पड़ोसी देश को इस बात की कोई परवाह नहीं है. भारत का कहना है कि यह भावनाओं का मामला है और इसको लेकर कोई शुल्क नहीं ली जानी चाहिए.
Raveesh Kumar: Pakistan insists on levying a fee of USD 20 (approx. Rs. 1420) on all pilgrims. We've urged Pakistan not to do so in the interests of devotees,& also because this is a P2P initiative. We hope that the Agreement can be concluded & signed in time for the great event" https://t.co/liXXStUl93
— ANI (@ANI) October 17, 2019
समझौते के मुताबिक हर दिन 5000 श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंचेंगे, इसलिए पाकिस्तान हर रोज एंट्री फीस के नाम पर 71.40 लाख रुपये श्रद्धालुओं से वसूलेगा. एक महीने में यह धनराशि 21 करोड़ 42 लाख रुपये होगी.
पिछले महीने पाकिस्तान की ओर से ऐलान किया गया कि भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर 9 नवंबर को खोल दिया जाएगा. लाहौर से करीब 125 किलोमीटर दूर नरोवाल में प्रस्तावित करतारपुर कॉरिडोर के लिए स्थानीय और विदेशी पत्रकारों की पहली यात्रा के दौरान इसको लेकर घोषणा की गई.
परियोजना निदेशक आतिफ माजिद ने 16 सितंबर को बताया कि अब तक कॉरिडोर पर 86 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और इसे 9 नवंबर को खोल दिया जाएगा.