डीएमके अध्यक्ष करुणानिधि ने यूपीए को समर्थन वापसी की धमकी देने की खबरों का खंडन किया है. इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि डीएमके ने धमकी दी है कि अगर प्रधानमंत्री अगले हफ्ते श्रीलंका में होने वाली राष्ट्रमंडल देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक (चोगम) में हिस्सा लेंगे तो वह यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लेगी.
करुणानिधि ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी ओर से ऐसी कोई धमकी नहीं दी गई है और वह यूपीए सरकार से पहले ही नाता तोड़ चुके हैं. 18 सांसदों वाली डीएमके इस साल मार्च तक केंद्र सरकार का हिस्सा थी. फिलहाल तकनीकी रूप से वह बाहर से भी यूपीए को समर्थन नहीं दे रही है. लेकिन संसद में कई बिलों पर उसने सरकार के पक्ष में ही वोटिंग की है.
डीएमके प्रमुख करुणानिधि ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से चोगम बैठक का बहिष्कार करने की अपील जरूर दोहराई. उन्होंने कहा कि इस मामले पर पीएम को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए.
तमिलनाडु की पार्टियां हैं चोगम के खिलाफ
श्रीलंका में 17 नवंबर को चोगम की बैठक होनी है. डीएमके मानती है कि पीएम का चोगम बैठक में हिस्सा लेना तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा. माना जा रहा है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आज प्रधानमंत्री के श्रीलंका जाने या न जाने पर फैसला कर सकता है.
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक होगी जिसमें चोगम में शिरकत करने या न करने पर फैसला लिया जाएगा.
मंत्रियों में भी जुदा है राय
नारायण सामी, जयंती नटराजन और जीके वासन जैसे केंद्रीय मंत्री और तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियां चाहती हैं कि पीएम चोगम में हिस्सा न लें. तमिलनाडु विधानसभा में हाल ही में एक प्रस्ताव लाया गया है, जिसमें मांग की गई है कि केंद्र चोगम का बहिष्कार करे.
लेकिन केंद्र सरकार इस मसले पर कंफ्यूज नजर आ रही है. एक धड़े का मानना है कि चोगम में पीएम की नामौजूदगी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर असर पड़ेगा. इसलिए भारत को चोगम में हिस्सा जरूर लेना चाहिए.