गरीबी की वजह से अजमल कसाब आतंकी बना था. इस बात का खुलासा पाकिस्तान की एक जानी-मानी लेखिका और पत्रकार जुगनु मोहसिन ने किया. उन्होंने बताया कि कसाब के माता-पिता ने उसे लश्कर-ए-तैयबा को डेढ़ लाख रुपयों में बेच दिया था.
अजमल कसाब ने 26/11 मुंबई हमले को अंजाम दिया था. कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी. जुगनु ने कहा कि लश्कर ने मुंबई हमलों को अंजाम देने के लिए बड़ी राशि खर्च की थी. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे. यह जानकारी जुगनु मोहसिन ने कसौली में खुशवंत सिंह लिटरेरी फस्टिवल में दी.
जुगनु मोहसिन कहा, 'मेरे घर से कसाब का गांव फरीदकोट 10 मील की दूरी पर है. जब मुंबई में 26 नवंबर 2008 में हमला हुआ था तो उस समय मैं दिल्ली में थी. हमने एक शख्स को सच्चाई जानने के लिए फरीदकोट भेजा. उस शख्स ने वहां से लौटकर आने के बाद बताया कि कसाब की मां नूरी लाई रो रही थी और कह रही थी कि उससे गलती हो गई कि उसने कसाब को पैसों की खातिर लश्कर को बेच दिया..'
पत्रकार मोहसिन की इस बात से कसाब के इकबालिया बयान की भी पुष्टि हो जाती है, जो उसने 26/11 के नार्को टेस्ट के दौरान दिया था. कसाब ने बताया था कि पिता आमिर शाहबन कसाब ने उसे पैसों के लिए आतंकियों को बेचा था. कसाब ने पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को यह भी कहा था कि वह अपने परिवार की भलाई की खातिर आतंकी संगठन से जुड़ा. कसाब के पिता आमिर शाहबन, मां नूरी लाई, छोटी बहन सुरैया और छोटा भाई मुनीर 2008 के मुंबई नरसंहार के बाद फरीदकोट गांव छोड़कर भाग गए थे और दोबारा कभी नहीं लौटकर आए.
जुगनु मोहसिन को तालिबान से कई बार जान से मार देने की धमकियां भी मिली हैं. उन्होंने बताया कि इस्लामिक उग्रवादी समूह पाकिस्तान में आर्थिक रूप से कमजोर, बेरोजगार युवाओं को झांसे में लेकर आतंकवाद फैला रहा है. उन्होंने कहा, 'तालिबान पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. ये लोग युवाओं को शिकार बना रहे हैं और अपने झांसे में लेकर उन्हें आतंकवाद की ओर ले जा रहे हैं.