अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय को पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की सीसीटीवी फुटेज सौंपी है. इसमें कसाब को जेलकर्मियों के साथ हाथापाई करते हुए दिखाया गया है क्योंकि उसे वकील के साथ बंद कमरे में बातचीत की इजाजत नहीं दी गयी थी.
कसाब 26/11 के मुकदमे के दौरान जेल और अदालत के कक्ष में अपने अशालीन व्यवहार के कारण भी चर्चा में आया था. उसने गत एक सितंबर को जेल कर्मचारी पर हमला किया तथा हमले का दृश्य सीसीटीवी में कैद हो गया जो उसकी कोठरी में लगाया गया है. सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को यह सीडी सौंपी.
उच्च न्यायालय कसाब को मिली मौत की सजा की पुष्टि पर सुनवाई कर रहा है. खंडपीठ बुधवार को कसाब के इस अनुरोध पर फैसला करेगी कि उसे सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में अपने वकील से बातचीत की इजाजत दी जाये लेकिन इस बातचीत को सुरक्षाकर्मी सुन नहीं सकें. निकम ने अदालत को बताया ‘यह घटना एक सितंबर की है, कसाब कुछ गड़बड़ कर रहा था, जिसके बाद जेलकर्मियों को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. इस पर कसाब ने जेलकर्मियों के साथ हाथापाई की, जो सीडी में साफ दिख रही है.’ {mospagebreak}
सरकारी वकील निकम ने कहा ‘कसाब प्रशिक्षित कमांडो है और वह बहुत तेजी से गतिविधियों को अंजाम दे सकता है. इसलिए वह न केवल खुद को, बल्कि अपने सुरक्षाकर्मियों को भी खतरा पहुंचा सकता है.’ उन्होंने जेलर द्वारा तैयार एक हलफनामा अदालत में दाखिल किया. इसमें कसाब के अपने वकील के साथ बातचीत ऐसी स्थिति में करने के अनुरोध का विरोध किया गया है जिसे सुरक्षा कर्मी नहीं सुन सकें.
अदालत कसाब की अपने वकीलों के साथ बंद कमरे में बातचीत संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगी. कसाब ने इस याचिका के माध्यम से अनुमति मांगी थी कि इस बातचीत के दौरान सुरक्षाकर्मी उसे देख तो सकें, लेकिन वह वकीलों से क्या बात कर रहा है, उसे सुन न सकें. कसाब के वकील अमीन सोलकर ने कहा कि वकील और उसके मुवक्किल के बीच आपसी संवाद उनका विशेषाधिकार होता है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी जेलकर्मियों या पुलिस की उपस्थिति में सवालों का जवाब देने में असहज महसूस कर रहा है लिहाजा उसके वकीलों को नितांत एकांत में उससे बातचीत का मौका दिया जाना चाहिए. बहरहाल, निकम ने दलील दी है कि इस समय बंदी से दिशानिर्देशों का आदान प्रदान करने की जरूरत उत्पन्न ही नहीं होती क्योंकि गवाही हो चुकी है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘लिहाजा ऐसी स्थिति में वकील और उसके मुवक्किल के बीच विशेषाधिकार वाली बातचीत नहीं हो सकती.’ निकम ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एक सितंबर की घटना के बाद अधिकारी सीसीटीवी के जरिये 24 घंटे कसाब की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं तथा हर समय एक अधिकारी चार फुट की दूरी से उस पर नजर रख रहा है.
जेलर राजेन्द्र धमाने ने हलफनामे में कहा, ‘वकीलों के साथ बातचीत के समय जेल अधिकारियों की मौजूदगी जरूरी है ताकि उसकी आक्रामक गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके.’ उन्होंने महाराष्ट्र जेल नियम, 1962 का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि किसी भी दोषी ठहराए गए कैदी के साथ बातचीत जेलकर्मियों की मौजूदगी में होती है, जिसे वे सुन भी सकें. इस नियम में यह भी कहा गया है कि किसी भी ऐसी बातचीत में मौत की सजा पाये दोषी और उसके दोस्तों या कानूनी सलाहकार को एक-दूसरे तक पहुंच बनाने की अनुमति नहीं होती.
इस साल छह मई को निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि उसे जीवित रखना खतरे को बरकरार रखना होगा. विशेष न्यायाधीश एम एल टाहिलियानी ने कहा था, ‘कसाब को जीवित रखना समाज और भारत सरकार के लिए खतरे को बरकरार रखना होगा.’ उन्होंने कहा था, ‘कसाब के सुधार की संभावना पूरी तरह से नकारी जा सकती है.’ {mospagebreak}
उच्च न्यायालय ने 20 सितंबर को कसाब के वकीलों से कहा था कि वे उससे जेल में मिलें और उससे पूछें कि क्या वह अपनी मौत की सजा की पुष्टि की सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत तौर पर अदालत में मौजूद रहना चाहता है. हालांकि अभियोजन ने कसाब की अदालत में मौजूदगी का यह कहते हुए विरोध किया था कि उसे खतरा हो सकता है.
अदालत ने इसके बाद सुझाव दिया था कि कसाब इस सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हो सकता है. अदालत ने सरकार को निर्देश दिए थे कि वह अदालत और जेल दोनों स्थानों पर यह सुविधा उपलब्ध कराए. उच्च न्यायालय 18 अक्तूबर से कसाब की मौत की सजा की पुष्टि करने की सुनवाई वीडियो कांफ्रेस के जरिये करेगा.
मुंबई में 26/11 के भीषण आतंकी हमले को अंजाम देने वाले 10 पाकिस्तानी आतंकियों में अजमल एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकी थी. उसे 166 लोगों की जान लेने के मामले में मौत की सजा सुनायी गयी थी. कसाब को मुंबई की आर्थर रोड जेल की बम एवं बुलेट प्रूफ कोठरी में रखा गया है. जेल की सुरक्षा भारत तिब्बत सीमा पुलिस कर रही है.