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बरेली DM के बाद हरियाणा के IAS अफसर ने भी कासगंज हिंसा पर लिखी पोस्ट

कासगंज हिंसा को लेकर बरेली के डीएम राघवेंद्र ने अपनी विवादित पोस्ट को हटा दिया, लेकिन अब आईएएस अफसर ने उसी पोस्ट को अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया है.

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प्रदीप कासनी (फेसबुक वॉल से)
प्रदीप कासनी (फेसबुक वॉल से)

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कासगंज हिंसा को लेकर बरेली के डीएम राघवेंद्र की ओर से फेसबुक पर किए गए विवादित पोस्ट को हटाए जाने के बाद भी विवाद अभी थमा नहीं था कि एक और शीर्ष स्तर के नौकरशाह ने उनकी टिप्पणी को अपने फेसबुक वॉल से पोस्ट कर दिया.

बरेली के डीएम कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह के अपने पोस्ट पर माफानामा के बाद अब हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी प्रदीप कासनी भी फेसबुक पोस्ट वार में कूद गए हैं. खास बात यह है कि कासनी ने राघवेंद्र के उस पोस्ट को अपने वॉल पर पोस्ट किया जिसे वो पहले ही हटा चुके हैं.

कासनी की पढ़ाई हरियाणा के भिवानी और दिल्ली में हुई और वह तेजतर्रार अधिकारी माने जाते हैं. अब तक उनका करीब 70 बार तबादला किया जा चुका है. कैप्टन राघवेंद्र की तरह कासनी भी जल्द रिटायर (28 फरवरी) होने वाले हैं. कासनी की पत्नी नीलम कासनी भी एक आईएएस अफसर हैं और वह राज्यपाल के एडीसी पद से हाल ही में रिटायर हुई हैं.

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कासनी ने न सिर्फ डीएम राघवेंद्र के पोस्ट को फिर से अपने वॉल पर डाला बल्कि उनकी ओर से कई पोस्ट अप्रत्यक्ष रूप से इस हिंसा के खिलाफ हैं. ज्यादातर पोस्ट किसी न किसी लेखक के जरिए किया गया है.

बरेली के डीएम के पोस्ट पर बढ़ते विवाद को देखते हुए कासनी ने 30 जनवरी की सुबह उसी पोस्ट अपने वॉल से डालते हुए 'कासगंज कष्टकर प्रसंग' करार दिया.

इससे पहले कासनी ने 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर मोहम्मद अखलाक को लेकर 2 पोस्ट किया और इसे शीर्षक दिया 'गांधी जी के देश में'. इस दिन गांधी को लेकर कई पोस्ट किए गए.

29 जनवरी को एक पोस्ट के जरिए वह लिखते हैं "झंडा फहराने के लिए होता है, न कि भरे-बाजार घसीटने के लिए. घुमाते तो लंगोट हैं, पहलवान. अपने अखाड़े के भीतर, न कि मुहल्लों कूंचों में.'' उनका एक और पोस्ट है '' हे समाज जी, मूरख दंगाइयों की अफवाहबाजी और लावा-लूतरी से तुम्हारी ही फजीहत होती है. बचो, हे समाज जी! तभी हम भी बचेंगे!'

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इससे पहले 28 जनवरी को एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा, "आपसे-आप कोई दंगा हुआ है आजतक?!! हमेशा भड़काया जाता है. वे भड़काते हैं जो इसके जरिये अपना फायदा देखते हैं. वे खामखाह कोई दंगा नहीं भड़काते!" थोड़ी देर बाद उन्होंने एक और पोस्ट किया "दंगाई झूठ बोलते हैं और फंस जाते हैं." फिर 29 जनवरी की सुबह वह एक पोस्ट करते हैं, "तोड़ने की नहीं जोड़ने की जरुरत है. सब भाई हैं."

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कासगंज में हुई हिंसा के बाद उन्होंने पोस्ट किया, "कासगंज में 'तमस' दुहराया गया है. बुरी खबर. दुर्भाग्यपूर्ण."

28 जनवरी की रात उन्होंने एक पोस्ट किया, जिसमें मधुवनदत्त चतुर्वेदी के कथन का जिक्र करते हुए पोस्ट किया है. इस पोस्ट में लिखा, "देशभक्ति बलिदानी और शरीफाना होती है, हत्यारी और दंगाई नहीं. लफंगों/लम्पटों ने देशभक्ति का ठेका ले लिया है."

27 जनवरी को किया गया उनका पोस्ट

कासनी खुद को साहित्यिक अभिरुचि का बताते हैं, वह लगातार सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. फेसबुक पर उनके फॉलोअर्स 6 हजार से ज्यादा हैं. उनके फेसबुक वॉल पर लिखी जानकारी के आधार पर वह चरखी दादरी के रहने वाले हैं.

नवंबर में वह उस समय सुर्खियों में आए जब उन्हें सरकार की ओर से वेतन, आफिस, गाड़ी और स्टॉफ नहीं दिया गया. तब पर्यावरण विभाग के अधीन आने वाले लैंड यूज बोर्ड का ओएसडी बने कासनी को तीन माह में एक बार भी वेतन नहीं दिया गया था. राज्य सरकार ने कासनी को गत 22 अगस्त को लैंड यूज बोर्ड का ओएसडी लगाया था. वेतन और अन्य सुविधाओं के लिए वह कोर्ट तक गए.

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