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देश की सुरक्षा पर राज्यपाल वोहरा ने जताई चिंता, राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय की मांग

उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र अब तक पूरी तरह से राज्यों को यह समझा नहीं पाया है कि उनके अधिकार क्षेत्र के भीतर आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखना उनका संवैधानिक कर्तव्य है.

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जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा

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देश की आंतरिक सुरक्षा पर विचार रखते हुए जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने एक नए मंत्रालय के गठन की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रालय बनाने की जरूरत है. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रशासनिक सेवा की स्थापना करने का भी समर्थन किया.

राजधानी दिल्ली में 12वें आर एन काव स्मारक व्याख्यान के दौरान राज्यपाल वोहरा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय पर रोजमर्रा के प्रशानिक कार्यों का दबाव पहले से अधिक बढ़ रहा है और उसके वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग विषयों से निपटना पड़ता है.

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान जिम्मेदारियों को देखते हुए मंत्रालय से केवल सुरक्षा प्रबंधन से जुड़े विषयों पर पूरा ध्यान देने की अपेक्षा करना अव्यवहारिक होगा.

उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में अगर राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रभावी प्रबंधन करना है, तब समय आ गया है कि वरिष्ठ अनुभवी कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में एक समर्पित 'राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के मंत्रालय' बनाया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि इस प्रस्तावित मंत्रालय में राष्ट्रीय सरक्षा प्रशासनिक सेवा से विशेष रूप से प्रशिक्षित पदाधिकारियों को लिया जाए.

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राष्ट्रीय सुरक्षा नीति

राज्यपाल वोहरा ने केंद्र सरकार को राज्यों के साथ विचार विमर्श कर राष्ट्रीय सुरक्षा नीति तैयार करने का भी आह्वान किया. इसके बाद देश के प्रत्येक मोर्चे पर सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए देशव्यापी संस्थागत ढांचा तैयार किया जाए और वर्तमान कमियों को दूर किया जाए.

राज्यों की भूमिका पर भी बोले वोहरा

आंतरिक सुरक्षा के बारे में राज्यों की भूमिका को लेकर वोहरा ने कहा कि केंद्र अब तक पूरी तरह से राज्यों को यह समझा नहीं पाया है कि उनके अधिकार क्षेत्र के भीतर आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखना उनका संवैधानिक कर्तव्य है.

उन्होंने कहा कि पिछले दशकों के चलन पर ध्यान दें, तब यह बात सामने आती है कि उभरती परिस्थितियों के प्रबंधन के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका संबंधित राज्यों को 'परामर्श' जारी करने तक ही सीमित रह गई है.

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