कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर बॉय आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर में ढेर किए जाने के बाद घाटी में एकाएक तनाव और पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ गई. इसके चलते पिछले साल जम्मू-कश्मीर में कई तरह के एहतियातन कदम राज्य सरकार और केंद्र सरकार को उठाना पड़ा था. गृह मंत्रालय ने लोक सभा में लिखित जवाब में कहा है कि जो पत्थरबाजी की घटनाएं अप्रैल, मई और जून में थी.
गौरतलब है कि 8 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पत्थरबाजी अचानक बढ़ गई. गृह मंत्रालय ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा है कि अप्रैल 2016 महीने 97 में बार कश्मीर में पत्थरबाजी हुई. वहीं मई और जून 2016 में क्रमशः 32 और 66 बार स्टोन पेल्टिंग की घटनाएं हुईं. लेकिन जैसे ही आतंकी बुरहान वानी का एनकाउंटर सुरक्षा बलों ने किया जुलाई में 837 बार कश्मीर घाटी में अलग अलग जगहों पर पत्थरबाजी हुई.
दरअसल जैसे ही 8 नवंबर को केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया. उसके बाद के आंकड़े बताते हैं कि पत्थरबाजी कम हुई गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2016 में जो एक महीने में 73 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई. वहीं, दिसंबर और जनवरी में क्रमशः 36 और 17 ही पत्थरबाजी की घटनाएं हुई. इससे साफ दिख रहा कि नोटबंदी का असर पत्थरबाजी में दिख रहा है.
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय नौजवानों को पत्थरबाजी करने के लिए पैसे दिए जाते हैं. एक पत्थरबाज ने तो आज तक के खुफिया कैमरे पर कुछ दिन पहले बताया भी था कि उसे इस काम के लिए बाकायदे 500 से पांच हजार रुपये तक मिलते हैं. पत्थरबाज ने कबूल किया कि हिज्बुल मुजाहिद्दीन के उग्रवादी बुरहान वानी की मौत के बाद हुए हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान भी उसने पत्थरबाजी करवाई थी.