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राजनाथ की उमर को चिट्ठी, कश्मीरी पंडितों के लिए ढूंढें उपयुक्त जगह

केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के कारण कश्मीर घाटी से पलायन करने वाले करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए वह ‘उपयुक्त भूमि’ की पहचान करें.

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राजनाथ सिंह की फाइल फोटो
राजनाथ सिंह की फाइल फोटो

केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के कारण कश्मीर घाटी से पलायन करने वाले करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए वह ‘उपयुक्त भूमि’ की पहचान करें.

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नरेंद्र मोदी सरकार ने 62 हजार कश्मीरी पंडित परिवारों के घाटी में उनके घरों में ‘पूरे सम्मान’ के साथ वापसी को लेकर प्रतिबद्धता जतायी थी. सरकार ने 2014-15 के केंद्रीय बजट में इसके लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लिखा है कि विस्थापितों के लिए पुनर्वास स्कीम को लागू करने की सरकार की योजना के तहत इन परिवारों के मकसद से आवासीय सुविधाएं स्थापित करने हेतु ‘उपयुक्त’ भूमि का आवंटन किया जाए.

राजनाथ ने सुझाव दिया कि भूमि की पहचान उस पैतृक स्थल के करीब की जा सकती है, जहां से वे विस्थापित हुए थे. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यह काम इस ढंग से किया जाना चाहिए ताकि क्षेत्र के इर्दगिर्द पर्याप्त सुरक्षा हो. सीमावर्ती राज्य में आतंकवाद की शुरुआत के बाद कश्मीर घाटी से विस्थापित होने के पश्चात जम्मू, दिल्ली तथा देश के अन्य हिस्सों में फिलहाल करीब 62 हजार पंजीकृत कश्मीरी विस्थापित परिवार रह रहे हैं.

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गृहमंत्री का यह पत्र राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भेजा गया है जो इस वर्ष नवंबर-दिसंबर में होने की संभावना है. बीजेपी ने 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल करने की अपनी मंशा जतायी है, हालांकि यह लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं होगा. कश्मीर में राजनीतिक दलों और अलगाववादियों ने भी कश्मीरी पंडितों की वापसी का समर्थन किया है, लेकिन उनके लिए अलग से कॉलोनियां बनाने का कड़ा विरोध किया गया है.

राजनाथ सिंह ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र कश्मीरी विस्थापितों की घाटी में वापसी करवाने और उनके समुचित पुनर्वास को सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. गृहमंत्री ने कहा कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए केन्द्र ने पहले ही 500 करोड़ रुपये निर्धारित कर दिए हैं, जिसकी घोषणा नई सरकार के पहले बजट को पेश करते समय की गई थी.

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