कश्मीरी पंडितों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को नरम नहीं बनाया जाना चाहिए और राज्य की एकता को कमजोर करने के लिए कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए.
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की जम्मू-कश्मीर यात्रा के पहले कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कल रात मुलाकात की और राज्य की मौजूदा अशांत स्थिति को लेकर उन्हें अपने विचारों से अवगत कराया.
पनून कश्मीर के नेता रमेश मानवती के नेतृत्व में पंडितों के प्रतिनिधिमंडल ने जोर दिया कि केंद्र को राज्य से एएफएसपीए को हल्का करने या वापस लेने की मांगों को नहीं स्वीकार करना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
मानवती ने मुखर्जी से कहा, ‘सुरक्षा बलों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए क्योंकि वे देश की संप्रभुता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.’
मानवती ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश के साथ राज्य की एकता को कमजोर करने के लिए कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए और पृथक्करण की किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने बताया कि मुखर्जी ने कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडल की चिंताओं को साझा किया और उन्होंने आश्वस्त किया कि देश की संप्रभुता की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी.
प्रतिनिधिमंडल में एलएन धार और एचएल जाड भी शामिल थे. उन्होंने राज्य के पुनर्गठन, आतंकवाद के कारणों और 20 साल पहले घाटी से चार लाख कश्मीरी पंडितों के राज्य से पलायन के कारणों की जांच के लिए आयोग का गठन करने की मांग की.
उन्होंने उस रोजगार पैकेज में भी संशोधन की मांग की जिसके तहत कश्मीर घाटी में 1000 कश्मीरी पंडितों को रोजगार मिलेगा. पंडितों ने कहा कि उन्हें जम्मू में रोजगार दिया जाना चाहिए क्योंकि कश्मीर जाने के लिए अब भी हालात उनके अनुकूल नहीं है.