कश्मीर में सबसे ज्यादा वक्त से जेल में बंद कैदी आशिक हुसैन फाक्तू फिलहाल जेल में ही रहेगा. पिछले 24 साल से जेल में बंद फाक्तू की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने के लायक नहीं माना. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ टिप्पणियां की और कहा की फाक्तू की याचिका मेनटनेबल नहीं है.
श्रीनगर की केंद्रीय जेल में बंद फाक्तू ने खुद को दोषमुक्त कराने और उम्रकैद की सजा पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी. कश्मीर के अलगाववादी संघटन जमीअतुल मुजाहिदीन के कमांडर रह चुके फाक्तू को मानवाधिकार कार्यकर्त्ता एचएन वांचू की हत्या के लिए उम्र कैद की सजा हुई थी. फाक्तू को टाडा के तहत दिए गए इकबालिया बयान के आधार पर दोषी ठहराया गया था.
टाडा अदालत ने किया था बरी
जम्मू की टाडा अदालत ने 2001 में फाक्तू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को पलटते हुए फाक्तू को दोषी ठहराया था. दोषी ठहराए जाने के फैसले को फाक्तू ने सुप्रीम कोर्ट में रिट
याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. इस याचिका में फाक्तू ने कहा था कि पुलिस को दिए इकबालिया बयान ही उसको दोषी ठहराए जाने का मुख्य आधार था, जो गलत है. केंद्र सरकार ने फाक्तू की याचिका का विरोध
किया था लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि फाक्तू ने जो मुद्दे अपनी याचिका में उठाए हैं, उन्हें बिना विस्तृत सुनवाई किए खारिज नहीं किया जा सकता. उस समय जस्टिस दीपक मिश्रा और
जस्टिस पाल गोवडा की बेंच ने फाक्तू की रिट याचिका को पुनर्विचार याचिका में तब्दील कर दिया था.
आसिया अंद्राबी से की शादी
फाक्तू अकेला ऐसा कश्मीरी अलगाववादी है जिसने जेल में रहते हुए पीएचडी की. फाक्तू ने 2008 में अमरनाथ जमीन विवाद को लेकर हुए प्रदर्शनों में सबसे अहम भूमिका निभाई थी. फाक्तू ने 1990 में अपने से पांच
साल बड़ी अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी से शादी की. आसिया अंद्राबी एक अलगाववादी संगठन दख्ताराने मिल्लत की प्रमुख है.