मुंबई सीरियल बम धमाके में 5-5 साल की सजा पा चुके संजय दत्त और अब जैबुन्निसा काजी को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने माफी देने की मांग की है.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि जैबुन्निसा का केस भी बिल्कुल संजय दत्त की तरह ही है. संजय दत्त और काजी दोनों एक ही अपराध, अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी करार दिए गए थे. 70 साल की जैबुन्निसा 8 महीने जेल में गुजार चुकी हैं.
काटजू ने लिखा है कि वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायण को लेटर लिखकर जैबुन्निसा को मानवीय आधार पर माफी देने की मांग करेंगे.
उन्होंने अपने ब्लॉग में अपने इस निर्णय के पीछे दो तर्क रखे हैं...
1. जैबुन्निसा 70 साल की एक विधवा महिला हैं, जो कई बीमारियों से लड़ रही हैं. अभी कुछ महीने पहले ही उनका किडनी का ऑपरेशन भी हुआ और उसी सिलसिले में उन्हें हर 6 महीने में चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है. वह चल भी नहीं पाती हैं. मुझे नहीं लगता कि वह जेल में बहुत समय तक जिंदा रह पाएंगी.
2. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पाराग्राफ 125 में बताया गया है कि वह वारदात के षड़यंत्र में शामिल नहीं थी. वह अवैध हथियार रखने की दोषी हैं. और इस बाबत जो सबूत पेश किए गए हैं वह मंजूर अहमद सैयद का बयान है, जो इस केस में सह-आरोपी भी है. साथ ही उनके घर से किसी भी हथियार की बरामदगी नहीं हुई है.
इसके आगे काटजू लिखते हैं कि इन सभी को पढ़कर लगता है कि जैबुन्निसा काजी को संदेह का लाभ के तहत उन्हें माफी दे देनी चाहिए. आगे वह लिखते हैं कि कई लोग कह रहे हैं कि ऐसा करने से कई लोग माफी के लिए लाइन लगा देंगे तो मैं उन सब को यह जवाब देना चाहता हूं कि ऐसे किसी भी मामले के साथ मैं जाने को तैयार हूं. लेकिन मैं उससे पहले पूरे मामले की गहराई से अध्ययन करूंगा.
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में संजय दत्त को 5 साल की सजा सुनाई है. संजय पर अवैध हथियार रखने का अपराध है. इसी मामले में संजय दत्त को टाडा कोर्ट ने जुलाई 2007 में 6 साल की सजा सुनाई थी. संजय दत्त को अवैध रूप से एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया गया था. बाद में टाडा के अंतर्गत लगाए गए आरोपों से संजय दत्त बरी हो गए थे और सीबीआई ने उसको चुनौती नहीं दी. इस दौरान संजय दत्त ने जेल में 18 महीने बिताए हैं.
देश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई में 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे, जिसमें 257 लोगों की मौत हुई थी.