2019 के लोकसभा चुनावों से पहले गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी गठबंधन बनाने की कोशिश के तहत तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता के. चंद्रशेखर राव की बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ दिल्ली में प्रस्तावित बैठक नहीं हो सकी.
अखिलेश यादव ने बुधवार को लखनऊ में कहा कि वह 6 जनवरी के बाद हैदराबाद में राव से मुलाकात करेंगे. वहीं मायावती ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री को मिलने का वक्त अभी नहीं दिया है. यादव ने कहा कि गठबंधन बनाने के राव की कोशिशों की वह तारीफ करते हैं लेकिन वह उनसे दिल्ली में नहीं मिल सकेंगे.
इससे पहले सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के आवास पर दोनों के बीच बैठक होनी थी. मायावती रविवार से ही दिल्ली में हैं लेकिन उन्होंने मिलने के बारे में कुछ नहीं कहा. मायावती की बीएसपी और सपा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उतर प्रदेश में मुख्य क्षेत्रीय दल हैं. सपा ने कहा है कि मोर्चा में उन्हें शामिल किए बगैर गैर बीजेपी गठबंधन कामयाब नहीं होगा.
टीआरएस प्रमुख सोमवार की रात को दिल्ली पहुंचे और यहां गुरुवार तक रुकेंगे. क्षेत्रीय दलों के मोर्चे की वकालत करते हुए राव ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति पर चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘हमारी बातचीत जारी रहेगी और जल्द ही हम ठोस योजना के साथ सामने आएंगे.’ बनर्जी ने कुछ नहीं बोला.
उन्होंने रविवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को फोन कर नए मोर्चे पर चर्चा की थी.
मालूम हो कि कांग्रेस की अगुवाई में गठबंधन बनाने की कोशिशों से सपा और बीएसपी अब तक किनारा करती नजर आई है. चाहे दिल्ली में हुई विपक्षी दलों की बैठक हो या फिर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सरकारों के शपथग्रहण समारोह रहे हों, सपा और बीएसपी ने इनसे परहेज ही किया. उत्तर प्रदेश में बनने वाले सपा-बीएसपी के महागठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल करने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर सपा प्रमुख ने कोई साफ जवाब नहीं दिया.