दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पैतृक गांव हरियाणा के भिवानी जिले में खेड़ा गांव है. केजरीवाल पानी की लड़ाई लड़ते-लड़ते मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए हैं. लेकिन उनके पैतृक गांव के लोगों को अरविंद की पानी के लिए लड़ाई में कुछ भी नया नजर नहीं आता. खेड़ा के बड़े-बुजुर्गों के अनुसार अरविंद केजरीवाल अपने दादा के किए काम को दोहरा रहे हैं. अंतर सिर्फ इतना है कि उनके दादा ने यह काम छोटे स्तर यानी गांव के स्तर पर किया था.
राजधानी दिल्ली से करीब 200 और चंड़ीगढ़ से 269 किमी की दूरी पर बसा खेड़ा गांव और इसके निवासी अरविंद केजरीवाल के दादा मंगल चंद के समाजिक कार्यों का गवाह रहे हैं. पानी की समस्या से परेशान गांववालों को राहत देने के लिए मंगल चंद ने गांव में एक कुंआ खोदा था, जिससे आसपास के गांवों की पानी की समस्या दूर हुई.
खेड़ा गांव के बड़े बुजुर्ग को तो आम आदमी की सेवा करने और कांग्रेस के विरोध को उनके दादा से मिला वंशागत गुण मानते हैं. मंगल चंद पूरे भिवानी में बहुत मशहूर समाजिक कार्यकर्ता रहे हैं.
1977 में आपातकाल के बाद जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आम चुनाव की घोषणा की तो अरविंद केजरीवाल के दादा मंगल चंद ने जनता पार्टी की उम्मीदवार चंद्रावती का समर्थन किया और चंद्रावती ने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल को हरा दिया. 1977 के दौरान सिवानी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और लोग कांग्रेस के सामने चुनाव में खड़े होने से भी कतराते थे. केजरीवाल के चाचा मुरारी लाल याद करते हुए बताते हैं कि उस समय मंगल चंद ने सिवानी के बस स्टैंड के पास जनता पार्टी का दफ्तर खोला था.
जहां एक ओर अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से 700 लीटर मुफ्त पानी का वादा किया है वहीं उनके दादा ऐसी ही सेवा पहले कर चुके हैं. मंगल चंद के खेड़ा गांव में खोदे गए कुंए से आसपास के गांव बख्तावरपुर, मिरान, धानी मिरान, धानी ध्यानचंद, धीरजा, धानी बल्हारा की भी प्यास बुझती थी. खेड़ा की सरपंच भगवानी देवी के अनुसार केजरीवाल के दादा ने यह कुंआ अपने पैसों से खोदा था, ताकि लोगों को पानी की किल्लत न हो.
बाद में मंगल चंद खेड़ा गांव से सिवानी चले आए, लेकिन उनकी अगली पीढ़ियों ने कुंए के पास ही हैंडपंप लगवा दिया ताकि पानी की बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके. फिलहाल सिवानी में रहने वाले मुरारी लाल का कहना है कि वे अक्सर कुंए की देखरेख के लिए खेड़ा गांव जाते रहते हैं.