दिल्ली सरकार ने अहम बिलों को पास करने के लिए अपना रुख बदल दिया है. जहां पहले सरकार अपने बिलों को विधानसभा में पास करने से पहले उपराज्यपाल को नहीं भेजती थी, वहीं अब इस मसले पर केजरीवाल सरकार ने यू-टर्न ले लिया है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकार के वित्त और कानून विभाग को निर्देश दिया है कि दिल्ली कैबिनेट के फैसले के मुताबिक अब बिलों को पहले उपराज्यपाल नजीब जंग की अनुमति के लिए भेजा जाए. गौरतलब है कि सरकार के लगभग डेढ़ दर्जन बिल अब भी केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के पास अटके हुए हैं.
इस बीच उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के दो और बिलों को दिल्ली सरकार के पास वापस भेज दिया है. एलजी ने जिन बिलों को सरकार के पास जरूरी सुधार के लिए वापस भेजा है उनमें नेता जी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी बिल शामिल है. जिसमें इस संस्थान को यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा टाइम बाउंड डिलीवरी ऑफ सर्विसेज बिल यानी सिटीजन चार्टर में संशोधन को भी मंजूरी देने की बजाए उपराज्यपाल नजीब जंग ने सुधार के लिए वापस सरकार को भेज दिया है.
इससे पहले भी विधायकों की सैलरी और वैट कानून में संशोधन से जुड़े 7 बिलों को उपराज्यपाल सरकार को लौटा चुके हैं. इन विधेयकों के साथ उपराज्यपाल ने विधानसभा को संदेश भी भेजा था. जिसमें जरूरी विधाई प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश दिया गया था. उपराज्यपाल अब तक कुल 9 बिलों को मानने की बजाए सुधार करने की अनुशंसा के साथ सरकार को भेज चुके हैं. लेकिन अब भी 8 बिल ऐसे हैं जो केंद्र के पास अटके हुए हैं. इनमें जनलोकपाल बिल के अलावा, सीआरपीसी में बदलाव, शिक्षा विभाग से जुड़े बिल और संसदीय सचिवों को लाभ के पद से निकालने के बिल भी शामिल हैं.