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केजरीवाल की टिप्पणी से चुनाव आयुक्त रावत आहत, AAP के मामलों से रहेंगे दूर

मुख्य चुनाव आयु्क्त एसएनए जैदी अपने साथी आयुक्त ओ पी रावत की चिट्ठी पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे. क्योंकि रावत ने अपनी चिट्ठी में खुद को आप पार्टी के मामलों से दूर रखने की गुजरिश की है

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मुख्य निर्वाचन आयोग
मुख्य निर्वाचन आयोग

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मुख्य चुनाव आयु्क्त एसएनए जैदी अपने साथी आयुक्त ओ पी रावत की चिट्ठी पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे. क्योंकि रावत ने अपनी चिट्ठी में खुद को आप पार्टी के मामलों से दूर रखने की गुजरिश की है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक आयोग की शुक्रवार को हुई सामान्य बैठक में भी चुनाव आयुक्त रावत ने हिस्सा लिया. इसमें ईवीएम और वीवीपैट से संबंधी राजनीतिक दलों की शिकायतों पर भी चर्चा हुई.

गौरतलब है कि चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने अरविंद केजरीवाल की एक टिप्पणी से आहत होकर आम आदमी पार्टी से जुड़े मामले में की सुनवाई के दौरान अपने मौजूद रहने पर नैतिक असमर्थता जताई थी. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक इंटरव्यू में ये टिप्पणी की थी कि चुनाव आयोग पर उनका विश्वास नहीं है, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी के साथ गुजरात में काम किया था. लिहाजा उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि वो हमारी शिकायतों पर निष्पक्ष रहेंगे. इसके बाद ओपी रावत ने ये कहते हुए खुद को आम आदमी पार्टी से जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करने की इच्छा जताई थी ताकि केजरीवाल और आम जनता का आयोग में विश्वास बना रहे.

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चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस चिट्ठी पर आगे कैसे कदम उठाया जाय इस बारे में भी आयोग बैठक में विचार करेगा. ये अलग बात है कि रावत के साथी और सीनियर चुनाव आयुक्त ए के जोती की भी विश्वसनीयता पर केजरीवाल ने सवालिया निशान लगाया था. लेकिन जोती ने साफ कर दिया कि वो निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएंगे. किसी भी सूरत में वो अपने आप को किसी भी मामले की सुनवाई से अलग नहीं करेंगे.

बहरहाल, आयोग के पास आम आदमी पार्टी के कई मामले विचाराधीन हैं. उनमें सबसे ताजा तो ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर है वहीं आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ का पद पर होने का मामला भी काफी अहम है. इस मामले में आयोग ने सभी पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. यानी अब वो राष्ट्रपति तक अपने विचार भेज देंगे. क्योंकि राष्ट्रपति ने उनसे इस मामले में सलाह मांगी थी. वहीं आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों का मामला भी अहम हैं जिनको दिल्ली सरकार के अस्पतालों में रोगी कल्याण विभाग का प्रभारी नियुक्त किया गया था.

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