केरल की धरती इन दिनों लेफ्ट-राइट का राजनीतिक आखड़ा बनी हुई है. राजनीतिक हत्याओं के कीचड़ में बीजेपी कमल खिलाने की जुगत में है. यही वजह है कि इन दिनों में केरल में BJP-RSS कार्यकर्ताओं की राजनीतिक हत्या के खिलाफ बीजेपी ने जनसुरक्षा यात्रा शुरू किया है. रविवार को केंद्रीय नितिन गडकरी केरल के केल्लम में जनसुरक्षा यात्रा में शामिल हुए. गडकरी ने लेफ्ट पर हमले करने के साथ-साथ राज्य को 60,000 करोड़ रुपये देने की भी बात कही.
दरअसल देश की सत्ता पर विराजमान होने के बाद बीजेपी का सबसे बड़ा लक्ष्य पश्चिम बंगाल और केरल ही हैं. ये राज्य न सिर्फ सियासी रूप से उसके लिए अहम हैं बल्कि वामपंथ से वैचारिक दुश्मनी के चलते भी वो इन राज्यों में अपना आधार खड़ा करना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी ने केरल में पूरी ताकत झोंक दी है.
हिंदू मतों के लिए लड़ रहे लेफ्ट राईट
केरल में वामपंथी पार्टियों का आधार हिंदू मतदाता हैं तो वहीं कांग्रेस का ईसाई और मुस्लिम बेस है. बीजेपी अभी तक केरल में सियासी जगह बनाने में सफल नहीं हो सकी है. लेकिन बदलते माहौल में बीजेपी का ग्राफ देश के कई राज्यों में बढ़ा है, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट केरल में 6.4 फीसदी से बढ़कर 10.45 तक हो गया था. एनडीए का कुल वोट राज्य में 15 फीसदी रहा. 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक सीट भी मिली. इससे वामपंथी गठबंधन में बेचैनी है.
बीजेपी का मिशन साउथ
मिशन साउथ के तहत बीजेपी केरल की सियासी जमीन पर उतरकर अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है. इस कड़ी में रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी केरल पहुंचकर जनसुरक्षा यात्रा में शामिल हुए. गडकरी ने कहा कि मैं इस बात की भविष्यवाणी करता हूं कि केरल में सीपीएम का सफाया होगा और इसी भूमि पर ये पार्टी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी.
गडकरी के 'गिफ्ट' में छिपा सियासी मायने
लेफ्ट पर करारा हमला बोलते हुए गडकरी ने कहा, 'आने वाले चुनावों में इन सबको VRS देकर जनता घर में बैठा देगी, ये काले पत्थर की सफेद लकीर है.' इसके अलावा गडकरी ने केरल के लिए 60 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही. लेकिन उन्होंने किन किन परियोजनाओं में खर्च होंगे इसका जिक्र नहीं किया. बीजेपी इस कवायद के जरिए कम से कम अगले विधानसभा चुनाव तक केरल में मुख्य विरोधी दल के रूप में पहचान बनाने की जुगत में है.
केरल का सामाजिक स्वरूप
केरल के सामाजिक हालात देश के बाकी हिस्सों से एकदम अलग हैं. केरल में हिंदुओं की आबादी करीब 52 फीसदी है. इसके अलावा 27 फीसदी मुस्लिम और 18 फीसदी ईसाई आबादी है. केरल में मुख्य सियासी मुकाबला लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन के बीच रहता है.
केरल में बीजेपी की सियासी जमीन
करेल में 2014 के लोकसभा चुनाव में भले ही एक सीट नहीं जीत पाई हो. लेकिन वोट प्रतिशत में जरूर बढ़ोतरी हुई है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केरल में 10.33 फीसदी वोट मिले. केरल की बीस लोकसभा सीटों में से बीजेपी 18 पर चुनाव लड़ी और बाकी 2 सीटों को अपने सहयोगी को दिया. इनमें से एक सीट पर दूसरे स्थान पर रही और बाकी 17 सीटों पर वो तीसरे स्थान पर रही.
केरल में बीजेपी ये है गढ़
त्रिवेंद्रम लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजगोपाल दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस उम्मीदवार शशि थरूर को 297806 वोट मिले तो वहीं बीजेपी के राजगोपाल 282336 वोट मिले. इस तरह शशि थरूर महज 15,470 वोट सी जीतने में कामयाब रहे. इसके अलावा केरल में बीजेपी पांच लोक सभी सीट ऐसी रही हैं जहां एक लाख ज्यादा वोट मिले थे. इनमें कसरगौड़, कोजीकीडे, कल्पक्कड़,थिरसूर पट्नमठिठ्टा लोकसभा सीट है. 8 सीट ऐसी रही जहां बीजेपी उम्मीदवार को 70 हजार से 1 लाख वोट मिले हैं.
विधानसभा में खुला BJP का खाता
केरल विधानसभा चुनाव 2016 में बीजेपी ने खाता खोला. केरल की 140 विधानसभा सीटों में से एक सीट पर बीजेपी के राजगोपाल ने नेमोम विधानसभा सीट से जीत का परचम फहराया. बीजेपी ने 6.3 फीसदी वोट से बढ़कर 10.5 फीसदी हुआ और एनडीए का कुल फीसदी 14.9 फीसदी रहा. केरल की करीब आधा दर्जन सीट ऐसी रही जहां बीजेपी दूसरे स्थान पर रही.