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केरल में अनोखे तरीके से मनाया जाता है दशहरा, विजयदशमी पर बच्चे लिखते हैं पहला अक्षर

केरल में दशहरे के दिनों में हजारों की संख्या में बच्चे जाति, धर्म से ऊपर उठकर पहली बार अक्षर लिखते हैं. इस दिन केरल में छोटे बच्चों द्वारा पहला अक्षर लिखने की शुरुआत करना बहुत शुभ माना जाता है और परिवार के लोग अपने छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर लिखवाने में मदद करते हैं.

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विजयदशमी पर बच्चे लिखते हैं पहला अक्षर
विजयदशमी पर बच्चे लिखते हैं पहला अक्षर

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पूरा देश बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार विजयादशमी धूमधाम से मना रहा है. हालांकि हर प्रदेश में यह पर्व अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जा रहा है. कहीं दशहरे पर रावण को ना जलाने का रिवाज है तो कहीं दशहरे पर लोग शोभायात्रा निकालते हैं.

वहीं केरल में दशहरे के दिनों में हजारों की संख्या में बच्चे जाति, धर्म से ऊपर उठकर पहली बार अक्षर लिखते हैं. इस दिन केरल में छोटे बच्चों द्वारा पहला अक्षर लिखने की शुरुआत करना बहुत शुभ माना जाता है और परिवार के लोग अपने छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर लिखवाने में मदद करते हैं.

इस दौरान हिंदू बच्चे 'हरि श्री गणपतये नम:', और इसाई बच्चे 'श्री येशु मिशहिहाये नम:' लिखते हैं. कुछ जगहों पर सोने की अंगूठी से शिक्षक बच्चे की जीभ पर मलयालम शब्द लिखते हैं. उसके बाद अभिभावक शिक्षक को इसके लिए दक्षिणा देते हैं. विजयदशमी के दिन त्रिसूर के समीप थुनाछन परमाबू में इस रस्म को निभाने के लिए हमेशा की तरह बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं. यह स्थान मलयालम साहित्यकार थुंछाथु इझुथाछन का घर माना जाता है, जहां ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता वासुदेवन नैयर कई बच्चों को उसका पहला अक्षर सिखाने में मदद करते हैं.

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कोट्टायम जिले के पानाचिक्कड में मां सरस्वती को समर्पित मंदिर पानाचिक्काडु में भी इस अवसर पर लोगों की भारी भीड़ देखी जाती है. यह मंदिर दक्षिण मूकामबिका के नाम से मशहूर है और यहां 56 शिक्षक छोटे बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाते हैं. इस बार मंदिर में रिकॉर्ड 20,000 पंजीकरण हुए हैं और मंदिर प्रबंधन ने बताया कि यह सत्र तड़के चार बजे से शुरू होकर सूर्यास्त तक चलेगा. शिक्षक की भूमिका पूर्व मुख्यमंत्री वी. एस. अच्युतानंदन समेत कई सेवानिवृत्त अधिकारी, प्रसिद्ध साहित्यकार इत्यादि निभा रहे हैं.

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