कन्नूर में हंगामे को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आजतक से खास बातचीत की और पूरी आपबीती घटना की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कार्यक्रम एक घंटे से ज्यादा का नहीं हो सकता है, लेकिन वक्ता नियम तोड़कर डेढ़ घंटे तक बोलते रहे. वो नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को संविधान के खिलाफ बताते रहे और संविधान पर खतरे का आरोप लगा रहे थे. मैं उनकी इन सब बातों को चुपचाप सुनता रहा.
आजतक से खास बातचीत में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इन सबको सुनने के बाद जब मैं बोलने लगा, तो इतिहासकार इरफान हबीब ने मुझको रोकने की कोशिश की. वो मेरी ओर बढ़े, लेकिन जब मेरे एडीसी ने उनको रोका, तो उन्होंने एडीसी का बैज नोच लिया और बदसलूकी की.
कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने दीवार
आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि जब एडीसी ने इरफान हबीब को रोका, तो वो सोफे के पीछे से मेरी ओर बढ़ने की कोशिश की. इस बीच सुरक्षाकर्मी और कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मेरे और इरफान हबीब के बीच दीवार बनकर खड़े हो गए.
केरल के राज्यपाल बोले- हमेशा से रही है इनमें असहिष्णुता
आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया कि इरफान हबीब मुझ तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि वो करना क्या चाहते थे, इसकी मुझको जानकारी नहीं हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इरफान हबीब ने मेरे एडीसी के बैज को खींचा, अगर वो मेरे पास तक पहुंचते, तो शायद मेरी कॉलर खींचते. नागरिकता संशोधन कानून पर न तो मुझको सुनना चाहते थे और न ही कार्यक्रम से बाहर जाना चाहते थे. इन लोगों का ऐसा ही रवैया है. इनके अंदर असहिष्णुता हमेशा से रही है.
संविधान और कानून की रक्षा करना मेरा कर्तव्यः आरिफ मोहम्मद खान
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इरफान हबीब की हरकतों को देखकर नीचे बैठे लोग हंगामा करने लगे. एक सवाल के जवाब में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि राज्यपाल होने के नाते संविधान और कानून की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘अगर मैं संसद द्वारा पारित किसी कानून से सहमत नहीं हूं, तो मुझको इस्तीफा देकर अपने घर जाना चाहिए, लेकिन अगर संसद द्वारा पारित किसी कानून से मैं सहमत हूं, तो मुझको उसका बचाव करना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई सोचता है कि मेरी मौजूदगी में कोई संसद से पारित कानून पर हमला करेगा और मैं खामोश होकर सुनता रहूंगा व जवाब नहीं दूंगा, तो यह गलत है.’ खान ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे हर शख्स की यह जिम्मेदारी है कि वह संसद से पारित कानून की रक्षा करे.
खान बोले- संसद से पारित होकर कानून बन जाता है राष्ट्रीय चरित्र
बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के आरोप पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘हमारे यहां लोकतंत्र है और लोगों को अपनी बात रखने की आजादी है. हालांकि अज्ञानता का कोई समाधान नहीं हैं. अगर आपको यह ज्ञान नहीं है और आप इसमें फर्क नहीं कर सकते हैं कि अगर कोई कानून किसी राजनीतिक दल के कार्यक्रम का हिस्सा रहा है, तो संसद से पारित होने के बाद उसका राजनीतिक रंग नहीं रहता है. वह राष्ट्रीय चरित्र बन जाता है.’
संविधान नहीं पढ़ते विरोध करने वाले लोगः आरिफ मोहम्मद खान
इस दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि अगर केरल विधानसभा भी कोई कानून पारित करती है, तो भी मैं उसका बचाव करूंगा. उन्होंने विरोध करने वालों पर पलटवार करते हुए कहा कि ये लोग न संविधान पढ़ते हैं और न ही इनको कानून का ज्ञान है. इन लोगों को जो लगता है, ये वही करने लगते हैं.
एक जैसे नहीं होते सभी राज्यपालः आरिफ मोहम्मद खान
जब उनसे कहा किया गया कि राज्यपाल रबर की मुहर की तरह होते हैं और वो कोई फैसला अपने विवेक का इस्तेमाल करके नहीं लेते हैं, तो उन्होंने कहा कि सभी राज्यपाल ऐसे नहीं होते हैं. पहले भी ऐसे राज्यपाल हुए हैं और आज भी हैं, जो अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं. सभी राज्यपालों को एक तराजू में नहीं तौलना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने संविधान की शपथ ली है.
‘मुख्यमंत्री के विरोध पर नहीं छोड़ दूंगा संविधान की रक्षा का कर्तव्य’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी के मुख्यमंत्री के विरोध करने से मैं संविधान की रक्षा करने का कर्तव्य छोड़ नहीं दूंगा. अगर किसी को लगता है कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान के खिलाफ है, तो संविधान में ही इसका उपचार दिया गया है. इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. हमारे यहां कानून का शासन हैं.
जब उनसे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून को पहले ही चुनौती दी जा चुकी है, तो उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का इस पर फैसला नहीं आ जाता है, तब तक विरोध प्रदर्शन करने वालों को इंतजार करना चाहिए. उनको हिंसा नहीं करना चाहिए और न ही किसी को बोलने से रोकना चाहिए.
संसद के पारित कानून से असहमति पर दिया था इस्तीफाः खान
केरल के राज्यपाल आरिफ मोम्मद खान ने कहा कि संसद से तीन तलाक के पक्ष में पारित किए जाने वाले कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्री पद से 35 साल की उम्र में इस्तीफा देने वाले आरिफ मोहम्मद खान से आज ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह 68 साल की उम्र में पद के लिए संसद के किसी भी कानून का समर्थन कर देगा. उन्होंने कहा कि यह कानून किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं हैं. यह पहले का हमारे राष्ट्रीय नेताओं का वादा था. हमारे देश में कानून का शासन हैं. भीड़ का शासन नहीं चलता है.
15 दिन से प्रदर्शनकारियों से कर रहा हूं बातचीत की कोशिशः खान
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ काला झंडा दिखाने वाले और प्रदर्शन करने वाले लोगों से मैं पिछले 15 दिन से बातचीत की कोशिश कर रहा हूं. मैं उनसे कह रहा हूं कि आइए और इस पर बात कीजिए, लेकिन मदरसे में पढ़ाने वाले एक ग्रुप को छोड़कर कोई बातचीत के लिए नहीं आया.'
आरिफ मोहम्मद खान ने बताया कि जब उस ग्रुप ने नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा की और समझने की कोशिश की, तो बड़ी अच्छी बात कही. उन्होंने कहा कि संविधान में प्रोटेस्ट करने का सभी को अधिकार मिला है, लेकिन अगर किसी मसले को समझने के लिए चर्चा करनी होती है. बिना चर्चा किए हिंसा करने से माहौल खराब होता है.