केरलः मुठभेड़ में मारा गया कुख्यात माओवादी सीपी जलील
केरल हाईकोर्ट में मारे गए एक माओवादी के रिश्तेदार ने याचिका दायर कर मुठभेड़ की स्वतंत्र जांच करने को कहा है. मारे गए माओवादी के परिवार ने आरोप लगाया है कि यह फेक एनकाउंटर था. जबकि, हमारे बच्चे सरेंडर करने को तैयार थे. इसके अलावा परिवार ने मांग की है कि इस मुठभेड़ की जांच किसी बाहरी और स्वतंत्र एजेंसी से जांच हो.
केरल हाईकोर्ट का फैसला, 'माओवादी होना जुर्म नहीं'
हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने नई जांच कराने से मना कर दिया है क्योंकि मामले की मजिस्ट्रियल जांच चल रही है. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में चल रही जांच स्वतंत्र होनी चाहिए. साथ ही इस मामले में जुड़े सभी पुलिस अफसरों की जांच होनी चाहिए. उंगलियों के निशान और अन्य सबूतों को ट्रायल कोर्ट को सौंप दें. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर मृतक माओवादियों के परिजन अगर वर्तमान जांच प्रक्रिया से संतुष्ट न हों तो वे दोबारा याचिका दायर कर सकते हैं.
27-28 अक्टूबर को अगाली के जंगलों में हुई थी मुठभेड़
केरल के पलक्कड़ जिले के अगाली जंगल में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में 4 माओवादी मारे गए थे. पहले मुठभेड़ में 3 माओवादी मारे गए थे, जिसमें पुलिस ने कहा था कि उसने जवाबी कार्रवाई में माओवादियों को मारा. दूसरे दिन, उसी जगह पर फिर गोलीबारी हुई जब पुलिस अधिकारी पुराने मौके की जांच कर रहे थे. जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की तो एक और माओवादी मारा गया.
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इस घटना के बाद से पूरे राज्य में सत्तारूढ़ सीपीआई-एम और मुख्यमंत्री पिन्नाराई विजयन की आलोचना हो रही है. यहां तक कि सरकार को समर्थन देने वाली सीपीआई ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की है और उसपर सवाल उठाए हैं. सीपीआई के नेता तो मुठभेड़ वाले स्थान पर दौरा भी कर आए. इसके बाद सीपीआई ने एक रिपोर्ट भी बनाकर मुख्यमंत्री को भेजी है.