हर महीने 6 दिन की कटनी थी सैलरी
23 अप्रैल को जारी आदेश में वित्त विभाग ने कहा था कि 20,000 रुपये महीने से अधिक के वेतन वाले सरकारी और सरकारी स्वायत्त निकायों के सभी कर्मचारियों के मासिक वेतन के छह दिनों का भुगतान अप्रैल 2020 से अगले 5 महीने तक स्थगित किया जाता है.
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कोर्ट ने आदेश पर रोक लगाई
राज्य सरकार के इस आदेश को कई संस्थाओं और कर्मचारियों के संगठनों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की एकल पीठ ने कहा कि यह आदेश, प्रथम दृष्टया, कानून के किसी प्रावधान द्वारा समर्थित नहीं है.
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि किए गए काम का वेतन पाना हर व्यक्ति का निहित अधिकार है. अदालत ने राज्य सरकार के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि सैलरी रोकने की शक्ति उसे आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम 1897 के जरिए प्राप्त हुई है.
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राज्य सरकार ने मंत्रियों, विधायकों, विभिन्न बोर्ड के सदस्यों, स्थानीय निकाय संस्था के सदस्यों और अलग-अलग आयोगों के सदस्यों के वेतन में भी अगले एक साल तक के लिए 30 प्रतिशत की कटौती की है.