केरल के कथित लव जेहाद मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अगर लड़की बालिग है, तो ऐसे मामलों में उसकी सहमति सबसे ज्यादा अहमियत रखती है. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच कर रही NIA से पूछा कि क्या कोई ऐसा कानून है, जो किसी को अपराधी से मोहब्बत करने से रोके.
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद मामले की सुनवाई 27 नवंबर तक टाल दी और हदिया के पिता से अगली सुनवाई में उसे कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है.
इससे पहले NIA ने कोर्ट से कहा था कि अखिला उर्फ हदिया को बहका कर शादी करने वाला अपराधी है और उसने लड़की को इस कदर बरगलाया है कि वह सही निर्णय लेने की हालत में नहीं.
वहीं हदिया के पिता अशोकन का आरोप है कि केरल में समूह बना कर सुनियोजित ढंग से कट्टरता फैलायी जा रही है. युवाओं को बरगलाया जा रहा है. उनका 'मनोवैज्ञानिक अपहरण' किया जा रहा है.
दरअसल यह पूरा मामला 24 साल की होमियोपैथिक डॉक्टर अखिला से जुड़ा है, जिसने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाते हुए शफी जहां नाम के युवक से शादी कर ली थी. इसे खफा हदिया के पिता ने केरल हाईकोर्ट पहुंच गए, जिसने इस शादी को रद्द घोषित कर दिया.
हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हदिया के पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि धर्म परिवर्तन कर निकाह करने वाली अखिला उर्फ़ हदिया की शादी को कोई कोर्ट कैसे रद्द कर सकता है?